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झारखंड की एक ऐसी सीट... जहां BJP-कांग्रेस में रहती है कांटे की टक्कर; रोचक है जीत-हार का आंकड़ा

Lok Sabha Election 2024 हो लड़ाकों की भूमि रही सिंहभूम संसदीय सीट भाजपा के लिए कभी भी आसान नहीं रही है। जब से देश में आम चुनाव हुए हैं तब से लेकर आज तक भाजपा प्रत्याशी यहां केवल तीन बार ही जीतने में सफल हुए हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी आप लगा सकते हैं कि सिंहभूम संसदीय सीट पर कमल खिलने में 44 साल लग गए।

By Sudhir Pandey Edited By: Shashank Shekhar Updated: Wed, 20 Mar 2024 05:48 PM (IST)
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झारखंड की एक ऐसी सीट... जहां BJP-कांग्रेस में रहती है कांटे की टक्कर; रोचक है जीत-हार का आंकड़ा
सुधीर पांडेय, चाईबासा। Lok Sabha Election 2024 हो लड़ाकों की भूमि रही सिंहभूम संसदीय सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए कभी भी आसान नहीं रही है। जब से देश में आम चुनाव हुए हैं तब से लेकर आज तक भाजपा प्रत्याशी यहां केवल तीन बार ही जीतने में सफल हुए हैं।

इसका अंदाजा इस बात से भी आप लगा सकते हैं कि सिंहभूम संसदीय सीट पर कमल खिलने में 44 साल लग गए। 1950 से 1952 तक यहां से पूर्ण चंद्र बिरुवा मनोनीत रहे।

1952 से आम चुनाव शुरू हुए। 1952 से लेकर 1991 तक 10 बार लोकसभा चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी कभी भी चुनाव नहीं जीत पाई थी। पहली बार 1996 में भाजपा का खाता खुला। यह रिकॉर्ड चित्रसेन सिंकू के नाम पर है। चित्रसेन सिंकू ने 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और पार्टी को जीत दिलायी थी। हालांकि, दो साल बाद 1998 में फिर से चुनाव हो गए और भाजपा के चित्रसेन सिंकू को हार का सामना करना पड़ा।

1999 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दूसरी बार जीत दर्ज की

1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा दूसरी बार जीत दर्ज करने में कामयाब रही और लक्ष्मण गिलुवा सांसद बने। इसके बाद 2004 के चुनाव में फिर से उलटफेर हुआ और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। 10 साल बाद फिर भाजपा को सिंहभूम सीट से जीत मिली और लक्ष्मण गिलुवा दूसरी बार सांसद बने।

वरिष्ठ भाजपा नेता अनूप कुमार सुल्तानिया कहते हैं सिंहभूम संसदीय सीट पर बागुन सम्बुरुई ने एक तरफा राज किया। वो पांच बार सांसद रहे। जहां तक पार्टियों की बात है तो इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही अधिकतर समय कांटे की टक्कर देखने को मिली है।

1996-2019 तक 7 बार आमने-सामने आए BJP-कांग्रेस

1996 से लेकर 2019 तक भाजपा और कांग्रेस सात बार आमने-सामने आये हैं। तीन बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा जीती है। केवल 2009 के लोकसभा चुनाव में निर्दल मधु कोड़ा के सामने दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। एक संयोग यह भी रहा है कि 2009 को हटा दें तो 1996 से लेकर अब एक बार भाजपा तो दूसरी बार कांग्रेस जीती है। 2019 में कांग्रेस से गीता कोड़ा जीती थी।

इस बार गीता कोड़ा भाजपा की प्रत्याशी हैं। संयोग बैठा तो इस बार सिंहभूम में कमल ही खिलेगा। झामुमो इस सीट से केवल एक बार जीती है।

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