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गोईलकेरा में फिर से हो सकता है ट्रेनों के लिए आंदोलन

गोईलकेरा रेलवे स्टेशन में एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर फिर से आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। आदिवासी महिला विकास समिति ने इसको लेकर रेल अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 06:48 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 06:48 PM (IST)
गोईलकेरा में फिर से हो सकता है ट्रेनों के लिए आंदोलन

संवाद सूत्र, गोईलकेरा : गोईलकेरा रेलवे स्टेशन में एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर फिर से आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। आदिवासी महिला विकास समिति ने इसको लेकर रेल अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। गोईलकेरा पंचायत की मुखिया पायो बेसरा के नेतृत्व में समिति से जुड़ी महिलाओं ने मंडल रेल प्रबंधक को संबोधित एक मांग पत्र स्टेशन मास्टर यमुना प्रसाद को सौंपा है। जिसमें रेलवे द्वारा की गई वादाखिलाफी के कारण आंदोलन की चेतावनी दी गई है। महिला समिति ने कहा कि पिछले तीन फरवरी को गोईलकेरा स्टेशन में आठ सूत्री मांगों को लेकर नागरिक एकता मंच द्वारा साढ़े छह घंटे तक रेल चक्का जाम किया गया था। इस दौरान रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष हुई वार्ता में एक सप्ताह के भीतर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव दिए जाने पर सहमति बनी थी। लेकिन आंदोलन और वार्ता के 8 दिन बाद भी गोईलकेरा में एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज शुरू नहीं किया गया है। इससे यहां के नागरिकों में रेलवे के प्रति गुस्सा है। महिला समिति ने रेलवे को चेताया कि जल्द एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज नहीं दिया गया तो इस बार महिलाएं आगे आकर आंदोलन करेंगी। इधर महिलाओं के इस रुख के बाद चक्रधरपुर रेल मंडल, इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों के बीच फिर से हड़कंप मच गया है। झूठे निकले सीनियर डीसीएम, ट्रेनें नहीं देनी थी तो वार्ता के लिए क्यों आए

महिलाओं का कहना है कि चक्रधरपुर रेल मंडल के अधिकारी भरोसे के काबिल नहीं हैं। सीनियर डीसीएम मनीष पाठक भी झूठे निकले। वार्ता में पहले तो उन्होंने कहा कि दूसरे दिन से ही दुर्ग-दानापुर और पुरी-ऋषिकेश एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव गोईलकेरा में दे दिया जाएगा। फिर एक सप्ताह का वक्त मांगा गया। लेकिन ट्रेनें अब भी नहीं रुक रही हैं। महिलाओं का कहना है कि ज्यादा मालगाड़ी चलाकर मुनाफा कमाने की लालच में अंधे हो चुके चक्रधरपुर रेल मंडल के अधिकारी इस क्षेत्र के नेताओं, जनप्रतिनिधियों, सांसद व मंत्री की अनुशंसा को भी अहमियत नहीं दे रहे हैं।


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