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पश्चिम सिंहभूम जिला में शौचालय निर्माण के 5.12 करोड़ रुपये डकार गये स्वयं सहायता समूह

पश्चिम सिंहभूम जिला में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के एवज में व्यय की गयी राशि के आलोक में उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के कारण कई मुखिया जल सहिया एवं स्वयं सहायता समूह की गर्दन फंस गयी है।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 18 Feb 2022 09:08 PM (IST)
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पश्चिम सिंहभूम जिला में शौचालय निर्माण के 5.12 करोड़ रुपये डकार गये स्वयं सहायता समूह

जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिला में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के एवज में व्यय की गयी राशि के आलोक में उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के कारण कई मुखिया, जल सहिया एवं स्वयं सहायता समूह की गर्दन फंस गयी है। जिला प्रशासन ने स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण हेतु वित्तीय वर्ष 2018-19 तक निर्गत राशि के विरुद्ध 164 स्वयं सहायता समूह एवं 144 ग्राम जल एवं स्वच्छता समूह के द्वारा अब तक उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किये जाने की वजह से जिला अंतर्गत गोइलकेरा, गुदड़ा, चक्रधरपुर व बंदगांव प्रखंड के उक्त सभी समूहों पर 5.12 करोड़ रुपये की राशि का सर्टिफिकेट केस व एफआईआर दर्ज किया है। शुक्रवार को उपायुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में हुई बैठक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अंतर्गत संचालित कार्यों की समीक्षा के क्रम में यह जानकारी साझा की गयी। स्वच्छ भारत मिशन के बासिल टोप्पो ने बताया कि शौचालय निर्माण में व्यय की गयी राशि के आलोक में उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक अप्राप्त है। मामले में गुदड़ी थाना में 1 करोड़ 29 लाख 2 हजार रुपये के गबन के आरोप में दड़ियाकमरोड़ा पंचायत की सिदमा ग्राम एवं जल समिति पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। इसी तरह गोइलकेरा थाना में आराहासा पंचायत के मुखिया रवि पुरती व जल सहिया पर 41 लाख रुपये गबन करने की एफआइआर की गयी है। इनके अलावा 164 स्वयं सहायता समूह एवं 144 ग्राम जल एवं स्वच्छता समूह को आरोपित बनाया गया है। सभी एफआईआर संबंधित थानों में जनवरी व फरवरी माह में आनलाइन दर्ज करायी गयी हैं। वहीं, राशि की वसूली के लिए चाईबासा में नीलामपत्र पदाधिकारी के कार्यालय में सर्टिफिकेट केस दर्ज किये गये हैं। बताया जा रहा है कि पूरे प्रकरण में 5 करोड़ 20 लाख रुपये का गबन हुआ है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से आरोपित मुखिया व जल सहिया फरार बताये जा रहे हैं। उपायुक्त अनन्य मित्तल ने बताया कि मामला गंभीर है। संबंधित पंचायतों के मुखिया, जल सहिया एवं स्वयं सहायता समूहों को कानूनी प्रक्रिया के दायरे में लाया जा रहा है। उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देना, यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है। मामले की जांच की जा रही है।

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