सारंडा से दुर्लभ जड़ी-बूटियों की हो रही तस्करी
एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल से दुर्लभ प्रजाति की जड़ीबूटियों की तस्करी हो रही है। दवा बनाने वाली कंपनियां ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर यह तस्करी करा रही हैं।
सुधीर पांडेय, चाईबासा : एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल से दुर्लभ प्रजाति की जड़ीबूटियों की तस्करी हो रही है। दवा बनाने वाली कंपनियां ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर यह तस्करी करा रही हैं। इम्युनिटी बढ़ाने में इस्तेमाल होने वाले एवं औषद्यीय गुणों वाली मेद छाल, अर्जुन की छाल, अश्वगंधा, चिरैता, अश्वगंधा की दवा कंपनियों में बहुत मांग है। झारखंड की सीमा से लगायत छत्तीसगढ़, ओडिशा के अलावा उत्तर प्रदेश में ले जाकर इन्हें खपाया जा रहा है। इस पखवाड़े में वन विभाग ने अगरबत्ती बनाने में इस्तेमाल होने वाली मेद छाल दो बार तस्करों से बरामद की है। अनुसंधान में यह बात सामने आयी कि इस छाल को ओडिशा के बिसरा में तस्कर ले जाकर बेचते हैं।
गुवा रेंजर कमलेश्वर प्रसाद के अनुसार बिसरा में एक स्टॉकिस्ट अनूप साव इसका कारोबार करता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में भी दवा कंपनियों में इसकी आपूर्ति की जाती है। हालांकि रेंजर अभी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि पिकअप से जब्त की गई छाल विलुप्त हो रहे मेद पेड़ की छाल है। उनका कहना है कि सारंडा जंगल के काफी भीतर इसके पेड़ हैं मगर ये काफी कम मात्रा में रह गये हैं। उनके अनुसार संभवत: यह मेद छाल न होकर लोध छाल है। इसमें भी बेशुमार औषधीय गुण हैं।