महिला दिवस पर चक्रधरपुर रेलवे की विशेष पहल, महिलाओं ने संभाली पूरी ट्रेन की कमान, सरपट दौड़ी इस्पात एक्सप्रेस
चक्रधरपुर रेल मंडल में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की विशेष पहल करते हुए सोमवार को हावड़ा टिटलागढ इस्पात एक्सप्रेस को चक्रधरपुर से राउरकेला स्टेशनों के बीच महिला स्पेशल ट्रेन बना कर चलाया गया। चक्रधरपुर स्टेशन से रवाना की गई इस ट्रेन में सभी रेल कर्मचारी महिलाएं थीं।
जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर : चक्रधरपुर रेल मंडल में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की विशेष पहल करते हुए सोमवार को हावड़ा टिटलागढ इस्पात एक्सप्रेस को चक्रधरपुर से राउरकेला स्टेशनों के बीच महिला स्पेशल ट्रेन बना कर चलाया गया।
लोगों ने महिला कर्मियों का किया उत्साहवर्धन
चक्रधरपुर स्टेशन से रवाना की गई इस ट्रेन में सभी रेल कर्मचारी महिलाएं थीं। इस खास अवसर पर रेलवे स्टेशन पर रेलकर्मी महिलाओं की भारी भीड़ इकट्ठा हुई। स्टेशन पर इकट्ठा महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण के नारे लगाते हुए इन महिलाओं का उत्साहवर्धन किया।
ट्रेन की सभी कर्मचारी केवल महिलाएं
इस मौके पर न सिर्फ चक्रधरपुर स्टेशन की कमान महिलाओं के हाथों में सौंपी की गयी, बल्कि चक्रधरपुर स्टेशन से इस्पात एक्सप्रेस को महिला स्पेशल ट्रेन बना कर रवाना किया गया। इस ट्रेन में लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, गार्ड, टीटीई, समेत आरपीएफ के जवान सभी रेल कमर्चारी महिलाएं थीं।
महिलाओं ने दिखाया अपना दमखम
कल तक जिस ट्रेन में पुरुषों का वर्चस्व कायम था, आज उस ट्रेन का सफल परिचालन कर महिलाओं ने अपने दमखम और आत्मविश्वास का परिचय दिया। इस मौके पर एडीआरएम विजय कुजुर ने कहा कि महिलाओं को सम्मान देने के लिए चक्रधरपुर रेल मंडल का सराहनीय प्रयास है। यह बडे गर्व की बात है कि एक पूरी ट्रेन को महिलाएं चला रही हैं।
इस्पात एक्सप्रेस महिला स्पेशल ट्रेन बनकर चली
ट्रेन नंबर 12871 हावड़ा टिटलागढ इस्पात एक्सप्रेस को महिला स्पेशल ट्रेन बनाया गया था। चक्रधरपुर से लेकर राउरकेला स्टेशन तक चली इस महिला स्पेशल ट्रेन की मुख्य चालक मधुमिता कुमार थी, जबकि सहायक चालक पायल शर्मा थी।
किस महिला ने संभाली कौन सी जिम्मेदारी
गार्ड की कमान पूनम राणा ने संभाली तो महिला टीटीई की टीम ने ट्रेन में यात्रियों की टिकट जांच की। ट्रेन के महिला चालक और गार्ड को दक्षिण पूर्व रेलवे महिला कल्याण संगठन के सदस्यों ने बुके देकर सम्मानित कर उनका हौसला बढाया। वहीं एक नंबर प्लेटफार्म में खड़ी इस्पात एक्सप्रेस को सर्वोदय के सदस्यों ने हरी झंडी दिखाई और ट्रेन को राउरकेला के लिए रवाना किया गया ।
उपलब्धियों से फूले नहीं समा रही थीं महिला रेलकर्मी
घर के साथ-साथ स्वतंत्र रूप से बिना किसी पुरुष के सहयोग से रेल चलाने का जज्बा और उत्साह महिला रेलकर्मियों में साफ़ तौर पर देखा जा सकता था। महिलाओं के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था क्योंकि अब एक ऐसा वक्त आ गया है, जब महिला पुरुषों के कदम से एक कदम आगे निकल रही है।
महिलाओं बताया बड़ी उपलब्धि
महिला कर्मियों पर रेल प्रबंधन का विश्वास इतना बढ़ा है कि पूरी ट्रेन की जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी जा रही है। महिला रेलकर्मियों ने कहा कि यह महिला सशक्तिकरण के रूप में महिलाओं की बहुत बड़ी उपलब्धि है। महिला रेलकर्मियों ने इस पूरी ट्रेन की कमान संभालने की खास जिम्मेदारी मिलने पर ख़ुशी जाहिर की।
महिलाएं बोलीं: इस तरह की जिम्मेदारी से प्रोत्साहन मिलता है
उन्होंने कहा कि वे लोग सामान्य रूप से तो काम करती ही हैं लेकिन जब इस तरह की जिम्मेदारी मिलती है तो उन्हें इससे बहुत प्रोत्साहन मिलता है। लोगों का उन पर जितना विश्वास बढ़ता है, उन्हें जिम्मेदारी का भी अहसास होता है। उनकी पूरी कोशिश है कि वे लोग जनता की आकांक्षाओं पर खरी उतर कर सफलतापूर्वक ट्रेनों का परिचालन करती रहें।