Jharkhand: तीन तरफ सीआरपीएफ कैंप के बावजूद गितिलपी में माओवादियों का आतंक! सरेआम हत्या कर सड़क पर फेंक दिया शव
झारखंड में माओवादियों के आतंक है। पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा में गितिलपी चौक में कदमडीहा पंचायत के उप मुखिया डोरसोना सुरीन के बड़े भाई रांदो सुरीन की भाकपा माओवादियों ने बीती रात हत्या कर दी। इस घटना के बाद पूरे इलाके में डर का माहौल उत्पन्न हो गया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह गांव तीन तरफ से सीआरपीएफ कैंप से घिरा है।
पश्चिमी सिंहभूम, जागरण डिजिटल डेस्क। झारखंड में माओवादियों के आतंक का एक नया उदाहरण सामने आया है। पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा में गितिलपी चौक में कदमडीहा पंचायत के उप मुखिया डोरसोना सुरीन के बड़े भाई रांदो सुरीन की भाकपा माओवादियों ने बीती रात हत्या कर दी।
बताया जा रहा है धारदार हथियार से सुरीन की हत्या माओवादियों ने की है। उन्होंने मौत के बाद शव को गितिलपी में बीच सड़क पर फेंक दिया। इस घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
शव के साथ पर्चा छोड़ा
सुरीन की हत्या मुखबिरी के शक में की गई है। माओवादियों ने उनके शव के साथ एक पर्चा भी छोड़ा है। जिसपर लिखा गया है कि पुलिस की मुखबिरी करने के लिए सुरीन को यह सजा दी गई है। पर्चे पर आगे यह भी लिखा है कि काफी समझाने व चेतावनी देने के बाद भी सुरीन पुलिस का मुखबिर बना रहा, जिसकी वजह से हत्या कर दी गई।
कुछ ही दूरी पर सीआरपीएफ कैंप
गौरतलब है कि गितिलपी चौक से पश्चिम दिशा में लगभग तीन-चार किलोमीटर दूरी पर सीआरपीएफ का 60 बटालियन वाला कैंप है। पूरब की ओर 10 किलोमीटर बाद सायतवा में सीआरपीएफ का 60 बटालियन कैंप है। इसके अलावा दक्षिण दिशा में भी लगभग चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर सीआरपीएफ का कैंप मौजूद है।
कुल मिलाकर गितिलपी गांव तीन तरफ से सीआरपीएफ कैंप से घिरा है। यह भी कह सकते हैं कि आर्मी की सुरक्षा में है।
सरेआम दिया घटना को अंजाम
इसके बावजूद नक्सलियों ने सरेआम इस तरह की घटना को अंजाम दिया है। इससे यह साबित होता है कि माओवादियों के बीच सेना व पुलिस का कोई डर नहीं है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह हत्या ऐसे समय में हुई। जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक डॅा. सुजाय लाल थाउसेन अपने दो दिवसीय झारखंड दौरे पर पहुंचे।
यहां दौरे के दौरान उन्होंने पश्चिम सिंहभूम के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे सुरक्षा बलों के कैंप का जायजा लिया था।
थाउसेन ने यह भी कहा था कि झारखंड में माओवादी अपने अंतिम पड़ाव पर हैं। वह कुछ सीमित क्षेत्रों में ही गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
उनकी गतिविधियों पर शीघ्र अंकुश लगाया जाएगा और उनपर निर्णायक जीत होगी। लेकिन नक्सलियों ने सरेआम सुरीन की हत्या करके थाउसेन के बयान को खोखला साबित कर दिया।
बता दें कि गितिलपी चौक पर माओवादी पहले भी कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। इससे पहले, फरवरी में गितिलपी गांव स्थित पंचायत भवन को नक्सलियों ने बम से उड़ा दिया था।
इसके अलावा, दिसंबर 2021 में गितिलपी गांव के समीप अंबराई पालुहासा में नक्सलियों ने पुलिस मुखबिरी के आरोप में वन विभाग के मुंशी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके साथ नक्सलियों ने वन विभाग का काम कर रहे ठेकेदार के JCB को भी आग के हवाले कर दिया था।