डायन बता हर माह हो रही एक निर्दोष महिला की हत्या
यकीन नहीं होता पर यह तस्वीर आज के भारत की है। किसी निर्दोष महिला को डायन बता भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार दिया जाता है।
मो.तकी, चाईबासा [पश्चिम सिंहभूम]। यकीन नहीं होता पर यह तस्वीर आज के भारत की है। किसी निर्दोष महिला को डायन बता भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार दिया जाता है। यही नहीं, उसे मैला खिलाना, मुंडन कर और निर्वस्त्र कर गांव में घुमाना, भीड़ की शक्ल में बेइंतहा पीटना, पेड़ से बांधकर लाठियां बरसाना, तब तक जब तक कि वह दम न तोड़ दे, ऐसा खौफनाक मंजर जिसकी सभ्य समाज में कल्पना भी न की जा सके, आए दिन सामने आता है।
यह अंधविश्वास नहीं, बल्कि अंधविश्वास की आड़ लेकर डायन बता किसी महिला से निजी दुश्मनी निकालने का क्रूरतम कृत्य है। बावजूद इसके, इसे लेकर देश और समाज संवेदनाहीन और खामोश बना रहा है। 2016 में प्रयास हुआ, लेकिन देशव्यापी कठोर कानून नहीं बन सका। झारखंड, बिहार, प. बंगाल, असम, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर गरीब, मजबूर व विधवा महिलाएं इसका शिकार हो रही हैं।झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले की ही बात करें तो यहां गत पांच वर्षों में इस तरह की वीभत्स घटनाओं की संख्या बढ़ी है। इस साल ही अब तक चार माह में चार हत्याएं हो चुकी हैं।
एक जिले का हाल... : पश्चिम सिंहभूम जिले के गांव-कस्बे महिला को डायन बता प्रताड़ित करने के लिए कुख्यात हो चुके हैं। आए दिन यहां भूमि व संपत्ति हड़पने, शराबखोरी और स्त्रियों से दुष्कर्म के लिए उन्हें डायन घोषित कर मार दिया जाता है। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक हर माह यहां एक महिला की हत्या इस कारण हो रही है। डायन के नाम पर ज्यादातर गरीब, मजबूर व विधवा को इसका शिकार बनना पड़ता है।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार, वर्ष 2017 में दस महिलाओं की हत्या डायन का आरोप लगाकर कर दी गई। जबकि हत्या के कई मामले तो पुलिस थानों में दर्ज ही नहीं हो पाते हैं। पिछले पांच वर्षों की रिपोर्ट देखने पर पता चलता है कि जिले में 37 महिलाओं की हत्या डायन के नाम पर की जा चुकी है। टोंटो, खूंटपानी, गोईलकेरा,
मनोहरपुर, गुदड़ी और बंदगांव समेत कई अन्य क्षेत्र इस दायरे में शामिल हैं। प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं लगातार जागरूकता अभियान चला रही हैं, घटनाएं थम नहीं रही हैं।शर्मसार करते आंकड़े