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Jharkhand Election 2024 Voting: नक्सलियों के गढ़ में बेखौफ हुआ मतदान, 20 साल बाद इन गांव के लोगों ने डाला वोट

Jharkhand First Phase Voting नक्सलियों का गढ़ सारंडा और कोल्हान के घनघोर जंगल में बसे गांवों में नक्सलियों के वोट बहिष्कार की धमकी का कोई असर नहीं दिखा। नक्सल प्रभावित गांवों में बने बूथों पर मतदाता उत्साह के साथ वोटिंग करते नजर आए। नक्सल प्रभावित तिरिलपोसी रेंगड़ाहातु और बोरोई गांव में पिछले 20 सालों से वोटिंग नहीं हुई थी।

By Sudhir Pandey Edited By: Shashank Shekhar Updated: Mon, 13 May 2024 07:41 PM (IST)
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नक्सलियों के गढ़ में बेखौफ हुआ मतदान, 20 साल बाद इन गांव के लोगों ने डाला वोट (फोटो- जागरण)
जागरण संवाददाता, चाईबासा। नक्सलियों का अंतिम गढ़ सारंडा और कोल्हान के घनघोर जंगल में बसे गांवों में नक्सलियों के वोट बहिष्कार की धमकी का कोई असर नहीं दिखा। नक्सल प्रभावित गांवों में बने बूथों पर मतदाता उत्साह के साथ वोटिंग करते नजर आये।

नक्सल प्रभावित तिरिलपोसी, रेंगड़ाहातु और बोरोई गांव में पिछले 20 सालों से वोटिंग नहीं हुई थी। इन तीनों गांव में पहली बार वोटिंग के लिए मतदान केंद्र बनाए गए तो सुबह से ही इन केन्द्रों पर महिला-पुरुष मतदाताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इन बूथों पर संगीनों के साय में ग्रामीणों ने पूरे उत्साह के साथ अपने मत का प्रयोग किया।

घनघोर जंगल में बसे रेंगड़ाहातु गांव में चार बूथ बनाये गये

घनघोर जंगल में बसे रेंगड़ाहातु गांव में चार बूथ बनाये गये थे। इनमें रेंगड़ाहातु, स्वयंबा, टेंसरा और मुरमुरा का मतदान केन्द्र बनाया गया था। यहां मतदाताओं की सुरक्षा के लिए 174 बटालियन के जवान तैनात किये गये थे। इन केन्द्रों पर सरजमबुरू, तुम्बाहाका, पतातरोब गांव के मतदाता भी पहुंचे हुए थे।

चारों बूथों को मिलाकर यहां 4 हजार से अधिक मतदाता हैं। शाम पांच बजे तक चले मतदान के बाद रेंगड़ाहातु के बूथ पर 68.51, मुरमुरा बूथ पर 62 प्रतिशत, टेंसरा बूथ पर 62.3 और स्वयंबा के बूथ पर 66.94 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। नक्सल प्रभावित बूथों पर मतदान का प्रतिशत 65 प्रतिशत के करीब रहा है।

सहायक कमांडेंट जगन्नाथ जेना ने क्या बताया

174 बटालियन के सहायक कमांडेंट जगन्नाथ जेना ने बताया कि लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाने और सीआरपीएफ का कैम्प स्थापित हो जाने की वजह से यहां के लोगों ने पूरे उत्साह के साथ बेखौफ माहौल में मतदान किया है। लोग छह-सात किलोमीटर दूर से पैदल चलकर अथवा दो पहिया वाहन से इन बूथों पर पहुंचे और मतदान किया।

उन्होंने बताया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से हम लोगों ने चार दिन पहले ही इस पूरे क्षेत्र में सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी थी। हेलीकाप्टर से मतदानकर्मियों को यहां एक दिन पहले ही ले आया गया था। मतदान पूरा होने के बाद अब मंगलवार को पुन: हेलीकाप्टर से ईवीएम व मतदानकर्मियों को चाईबासा भेजा जाएगा। तब तक यह मतदान केन्द्र हमारी सुरक्षा में रहेगा।

पश्चिमी सिंहभूम के 524 बूथ नक्सल दृष्टिकोण से अति संवेदनशील

बता दें कि पश्चिमी सिंहभूम जिले में 524 ऐसे बूथ हैं, जो नक्सल दृष्टिकोण से अति संवेदनशील है। नक्सल प्रभावित तिरिलपोसी, रेंगड़ाहातु और बोरोई गांव में पिछले 20 वर्षों से वोटिंग नहीं हुई थी। इन तीनों गांव में पहली बार वोटिंग करायी गयी।

सारंडा और कोल्हान में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जाने की वजह से इस क्षेत्र में नक्सली बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। इस बार चुनाव के दौरान नक्सली किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल नहीं हो पाए।

पहले इन गांवों में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में लगा रखे थे आइईडी

गोईलकेरा थाना अंतर्गत ग्राम कुइड़ा, छोटा कुइड़ा, मारादिरी, मेरालगाड़ा, हाथीबुरू, तिलायबेड़ा, सीमावर्ती क्षेत्र बोयपैसांग, कटंबा, बायहातू, बोराय, लेमसाडीह के सीमावर्ती क्षेत्र और टोंटो थाना अंतर्गत ग्राम हुसिपी, राजाबासा, तुम्बाहाका, रेगड़ा, पाटतोरब, गोबुरु, लुइया में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो गया।

इन गांवों के रास्ते में पूर्व में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में आइईडी लगा रखे थे। 700 से अधिक आइईडी को बरामद कर सुरक्षाबलों ने इन गांवों के रास्ते को सुरक्षित बना दिया है। मालूम हो कि नक्सल प्रभावित बूथों पर विशेष ट्रेन और वायुसेना के हेलीकाप्टर से मतदान कर्मियों को मतदान से एक दिन पहले ही संबंधित कलस्टर में भेज दिया गया था।

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