Jharkhnad News: बढ़ती गर्मी के प्रकोप से जल का संकट, विद्यालय में पानी के लिए तरस रहे बच्चे
कुमारडुंगी प्रखंड में प्रचंड गर्मी के चलते जलस्तर का पाताल में जाने के कारण जल संकट पैदा हो गया है और यहां लोग एक-एक बुंद पानी के लिए तरसने लगे हैं। इसका असर अब विद्यालयों में देखने को मिल रहा है। विद्यालयों में भी बढ़ते जल संकट के कारण बच्चे पानी की बोतल ले जाने को मजबूर हैं और बच्चे एक-एक बूंद पानी के लिए तरसते हैं।
संवाद सूत्र, कुमारडुंगी। प्रचंड गर्मी के चलते जलस्तर का पाताल में जाने से कुमारडुंगी प्रखंड में जल संकट उत्पन्न हो गई है। यहां लोग एक-एक बुंद पानी के लिए तरसने लगे हैं। इसका असर अधिकतर विद्यालयों में देखने को मिल रहा है।
विद्यालयों में जल संकट के कारण बच्चे पानी की बोतल ढोकर जाने को मजबूर हैं। पेयजल की समस्या आसानी के साथ आदर्श विद्यालय उत्क्रमित उच्च विद्यालय उलीहातु में देखने को मिल जाएगा। यहां विद्यालय में जल संकट जनवरी माह के आरंभ से ही उत्पन्न हो गई है। तब से बच्चे एक-एक बूंद पानी को लेकर परेशान हो रहे हैं।
स्कूली बच्चों को हरी परेशानी
बच्चे एक बुंद पानी के लिए पाइप लाइन पर मुंह लगाकर पानी खींचने की कोशिश करते हैं। इसमें भी बच्चे को मात्र बुंद भर पानी मिल पाता है। कुछ बच्चे बोतलों में पीने का पानी लेकर आते हैं। लेकिन पानी जल्द खत्म हो जाने से परेशानी पुन शुरू हो जाता है।हालांकि 738 छात्रों वाले इस विद्यालय में दो चापाकल एवं एक जलमीनार बनी हुई है लेकिन तीनों बेकार है। दोनों चापाकल खराब है। पानी बाल्टी भर भी नहीं निकलता है। वहीं जलमीनार बनने के बाद से ही खराब पड़ी है। तीनों पानी देने वाले तंत्र विद्यालय की शोभा बढ़ा रही है।
विद्यालय ने स्थानीय जनप्रतिनिधि को लिखा था पत्र
इस समस्या को लेकर विद्यालय ने स्थानीय जनप्रतिनिधि को जनवरी माह के आरंभ में ही लिखित आवेदन देकर अवगत करवाया है। इसके अलावा उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी आवेदन देकर अवगत कराया है।नहीं हुआ परेशानी का समाधान
तीन माह बीत जाने के बाद भी किसी ने समस्या का सामाधान नहीं किया। समस्या को महत्व नहीं देने से सैकड़ों बच्चे चिलचिलाती धूप में पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। इसके अलावा विद्यालय में कमरों की कमी के कारण कक्षा एक, दो व तीन के बच्चे एक कमरे में बैठते हैं।
जबकि कक्षा चार व पांच के बच्चे एक कमरे में बैठने को मजबूर हैं। विद्यालय में शिक्षकों की भी काफी कमी है। इस तरह विद्यालय में काफी कमी होने के बाद भी विद्यालय को एक आदर्श विद्यालय का दर्जा दिया गया है।
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