जब चक्रधरपुर मंडल से गुजर रही मुंबई मेल बनी थी 'द बर्निंग ट्रेन', रेलवे रिकॉर्ड में जिंदा जल गए थे 27 यात्री
Howrah Mumbai Mail चक्रधरपुर रेल मंडल से गुजरने वाली ट्रेनों में हावड़ा-मुंबई मेल खास ट्रेन है। हालांकि दुर्भाग्य की बात यह है कि इस मंडल से गुजरती हुई यह ट्रेन अब तक तीन बार हादसे का शिकार हो चुकी है। सबसे पहले 1994 में हावड़ा मुंबई मेल ट्रेन के एस 5 कोच में आग लग गई थी। इसके बाद 2019 में यह ट्रेन हादसे का शिकार हो गई।
जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर। Howrah Mumbai Mail Accident हावड़ा-मुंबई मेल चक्रधरपुर रेल मंडल से गुजरने वाली सबसे खास ट्रेन है, लेकिन इस ट्रेन का दुर्भाग्य है कि इस मंडल से गुजरते हुए ट्रेन ने तीन बार हादसों का सामना किया है। बीते मंगलवार को हुई हावड़ा-मुंबई मेल दुर्घटना उसमें से एक ताजा मामला है।
इससे पहले यह ट्रेन और दो बार चक्रधरपुर रेल मंडल में हादसे का शिकार हो चुकी है। 1994 के 26 अक्टूबर की रात 02.51 बजे लोटापहाड़ स्टेशन में इस ट्रेन में भीषण आग लग गई थी। तेज रफ्तार में आग का गोला बनकर यह ट्रेन चल रही थी। आग ट्रेन के एस 5 कोच में लगी थी।
घटना में 27 लोगों की चली गई थी जान
उस घटना में कोच में सवार लगभग सभी यात्रियों की ट्रेन में ही जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इस घटना ने पुरे चक्रधरपुर रेल मंडल को झकझोर कर रख दिया था। इतना ही नहीं, कई यात्री आग से बचने के लिए चलती ट्रेन से कूद गए थे, जिसके कारण भी यात्रियों की मौत हुई थी। इस हादसे में कुल 27 रेल यात्रियों की मौत का आंकड़ा रेलवे ने पेश किया था, जबकि मरने वालों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा था।उस दौरान बताया गया था कि एक चायवाले के स्टोव से धधकी आग ने एस 5 कोच को बर्निंग ट्रेन बना दिया था और आग से यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हुई थी। खास बात यह भी रही कि उस दौरान ट्रेन में सफर कर रहे कई लोग लापता हो गए, जो आज तक नहीं मिले। बताया गया कि रेलवे यात्रियों की लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से उनकी गुमशुदगी एक रहस्य बनकर रह गयी।
2019 में मुंबई से हावड़ा जा रही ट्रेन हुई थी हादसे का शिकार
इसके बाद 2019 के 25 जून को भी मुंबई से हावड़ा की ओर जा रही यह ट्रेन चक्रधरपुर रेल मंडल में हादसे का शिकार हुई थी। रेल मंडल के लोटापहाड़ और सोनुआ स्टेशन के बीच मुंबई-हावड़ा मेल रात के 1:20 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गयी । तेज रफ़्तार में चल रही ट्रेन के पार्सल कोच का फर्श अचानक नीचे पटरी पर ढह गया, जिसके कारण पार्सल कोच बीच से क्रेक कर गयी।पार्सल कोच क्रेक कर जाने से अचानक ट्रेन की रफ्तार धीमी हो गयी और कोच का वेक्यूम पाइप फट गया, जिससे ट्रेन रुक गयी। जब गार्ड और ड्राइवर ने बाहर निकलकर पार्सल कोच की हालत देखा तो उनके होश उड़ गए। पार्सल कोच का फर्श नीचे ढह चूका था और डिब्बे में रखा माल नीचे गिर रहा था।कोच पूरी तरह बीच से टूटकर अलग हो चुकी थी। इस हादसे में ट्रेन में सवार यात्री बाल बाल बच गए थे क्योंकि वेक्यूम पाइप फटने से ट्रेन रुक गयी थी, अगर ट्रेन अपने रफ्तार में रहती तो जान-माल का बड़ा नुकसान होता। उस समय यह बात सामने आई थी कि पार्सल कोच काफी पुराना होने के बाद भी उसका इस्तेमाल किया जा रहा था।
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