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Ayurvedic Skin Care: गोरा होने के चक्कर में कहीं त्वचा को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहीं आप!

हम सभी चाहते हैं कि हमारी स्किन साफ बेदाग और हेल्दी रहे। इसके लिए महंगी से महंगी क्रीम्स से लेकर ट्रीटमेंट करवाने में भी पीछे नहीं हटते। त्वचा को बेहतर जरूर बनाएं लेकिन इसके चक्कर में इसे और खराब न कर लें। इसके लिए जरूरी है कि पहले त्वचा की प्रकृति को समझा जाए। तो आइए जानें स्किन केयर के आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में।

By Jagran News Edited By: Ruhee Parvez Updated: Tue, 06 Feb 2024 03:21 PM (IST)
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साफ चेहरे के चक्कर में कहीं बिगाड़ न लें अपनी स्किन

नई दिल्ली। गोरा होने के चक्कर में कहीं आप अपनी त्वचा न बिगाड़ लें...। अगर आप भी फेयरनेस क्रीम का नियमित प्रयोग कर रहे हैं, तो थोड़ा ठहर कर विचार करने की जरूरत है। दरअसल, फेयरनेस क्रीम में रेटिन-ऑयल होता है जो स्किन को गोरा तो करता है लेकिन पतला भी बनाता है।

इससे त्वचा में सूखापन, खुजली या अन्य कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। हर किसी की त्वचा भी अलग-अलग प्राकृति की होती है, जैसे- वात, पित्त या कफ। बिना अपनी त्वचा का टाइप जाने अगर इस पर कुछ भी प्रोडक्ट का प्रयोग करेंगे तो इससे नुकसान भी हो सकता है। टाइप के हिसाब से उबटन का प्रयोग किया जा सकता है।

अक्सर शादी या किसी कार्यक्रम में फेशियल करवाने वाले के चेहरे पर अक्सर रेशेज पड़ जाते हैं। इससे आपका पूरा कार्यक्रम खराब हो जाता है। इसकी वजह क्रीम नकली होना या खराब होना नहीं है, बल्कि इसकी बड़ी वजह यह है कि फेशियल करने से पहले आपकी स्किन की प्राकृति को नहीं समझा जाता। सभी को एक ही तरह का फेशियल चिपका दिया जाता है। मामला यहीं पर खराब होता है, जबकि अब ब्राइडल फेशियल भी आयुर्वेद पर आधारित होने लगा है।

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ऐसे समझें अपनी त्वचा की प्राकृति  

  • सर्दियों में आमतौर पर ज्यादातर लोगों की स्किन ड्राई हो जाती है लेकिन किसी की स्किन अगर गर्मियों में भी ड्राई रहती है, खासकर चेहरे को धोने के बाद भी ड्राई हो रही है तो वह वात प्रकृति का है। ऐसे में उसे अपने खाने से लेकर लगाने तक में ऑयल का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए।
  • पित्त प्रकृति वाले लोगों की स्किन बहुत ज्यादा संवेदनशील होती है। उनका रंग पहले से गोरा होता है। इन्हें अपनी स्किन पर ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन गर्मियों में खस, गुलाब पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं।
  • कफ प्रकृति वाले थोड़े सांवले होते हैं। उनकी स्किन काफी कुछ सहन करने वाली होती हैं।

- डॉ. कीर्ति मांडर देओ

(आयुर्वेदिक कोस्मेटोलाजिस्ट)

बातचीत : विनीश गौड़