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Independence Day 2023: दुनिया में कारीगरी के लिए मशहूर हैं ये भारतीय फैब्रिक्स, गूगल ने डूडल के जरिए दिखाई झलक

Independence Day 2023 हम सब आज अपना स्वाधीनता दिवस मना रहे हैं। देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज गूगल ने भी अपने डूडल पर टैक्सटाइल्स की तस्वीरें लगाकर भारत की कला और विविधता को दर्शाया है। भारत अपनी विविधताओं के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इस खास मौके पर आज हम जानेंगे भारत के उन फैब्रिक्स के बारे में दुनियाभर में काफी मशहूर हैं।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Tue, 15 Aug 2023 09:00 AM (IST)
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दुनियाभर में मशहूर हैं ये भारतीय कपड़े
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Independence Day 2023: पूरा देश आज आजादी के पर्व के जश्न में डूबा हुआ है। देश आज अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस खास मौके पर सभी देशभक्ति के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं, विदेशों में भी कई जगह भारत की आजादी का जश्न मनाया जा रहा है। इसी बीच गूगल ने भी बेहद खास तरीके से भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। दरअसल, गूगल ने अपने डूडल पर भारतीय टैक्सटाइल्स की तस्वीरें लगाकर भारत की कला और विविधता को दर्शाया है।

भारत विविधताओं का देश है। यहां की संस्कृति और परंपराएं दुनियाभर में काफी मशहूर हैं। खानपान से लेकर पहनावे तक, यहां हर एक चीज की अपनी अलग बात है। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस देश में कई तरह की कलाएं भी मौजूद हैं। यहां कई ऐसे फैब्रिक्स और प्रिंट्स पाए जाते हैं, जिन्हें देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद की जाती हैं। आजादी के 77 वर्षों में भारत में कई ऐसी चीजें विकसित की, जिनकी डिमांड आज पूरी दुनिया है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे भारत की कुछ ऐसी मशहूर प्रिंट्स और फैब्रिक्स के बारे में, जिन्हें देश-दुनिया में काफी पसंद किया जाता है।

खादी

भारतीय खादी हाथ से बुना हुआ नेचुरल फाइबर का कपड़ा है। ब्रिटिश काल में इसे खद्दर के नाम से भी जाना जाता था। यह पूरी तरह से भारत को दर्शाता है। ऐसे में इसे एक स्वदेशी कपड़ा कहना गलत नहीं होगा। खादी को बनाने के लिए रेशों को चरखे पर कातकर सूत बनाया जाता है। इस कपड़े की खासियत है कि यह गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म होता है।

कलमकारी, आंध्र प्रदेश

कलमकारी कपड़ा प्रिंट करने की एक पारंपरिक भारतीय तकनीक है, जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके कपड़ों पर हाथ से पेंटिंग या ब्लॉक प्रिंटिंग डिज़ाइन शामिल होते हैं। "कलमकारी" शब्द दो फ़ारसी शब्दों से बना है, "कलम" का अर्थ पेन और "कारी" का मतलब शिल्प कौशल है। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत भारत में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के प्राचीन क्षेत्रों में हुई थी।

बनारसी सिल्क, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

बनारसी सिल्क अपने सोने और चांदी के ब्रोकेड या जरी, बढ़िया रेशम और भव्य कढ़ाई के लिए जाना जाता है। बनारसी सिल्क से बनाई जाने वाली साड़ी को दुनियाभर में काफी पसंद किया जाता है। इससे बनने वाली साड़ी पर नजर आने वाली डिजाइन मुगल, फूल, आम के पत्तों और मीनाकारी के काम से प्रेरित होती है।

चिकनकारी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

चिकनकारी एक पारंपरिक कढ़ाई शैली है, जिसकी शुरुआत भारत के लखनऊ शहर में हुई थी। यह महीन मलमल के कपड़े पर अपने नाजुक सफेद धागे के काम के लिए प्रसिद्ध है, जो सुंदर पैटर्न और डिजाइन बनाता है। चिकनकारी का इतिहास कई सदियों पुराना है। माना जाता है कि चिकनकारी की शुरुआत भारत में मुगल काल के दौरान 16वीं शताब्दी में हुई थी।

चंदेरी, मध्य प्रदेश

चंदेरी फैब्रिक एक बढ़िया, हल्का और पारदर्शी कपड़ा है, जो भारत के मध्य प्रदेश के एक शहर चंदेरी में हाथ से बुना जाता है। यह रेशम और कपास के मिश्रण से बनता है, जो इसे एक सुंदर कपड़ा बनाता है। चंदेरी फैब्रिक्स अपनी पेचीदा और खूबसूरत डिजाइनों के लिए जाना जाता है, जो अक्सर प्रकृति और पौराणिक कथाओं से प्रेरित होते हैं। इसका उपयोग अक्सर साड़ी बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसे ब्लाउज, कुर्ता और स्कार्फ जैसे अन्य परिधान बनाने के लिए इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

पश्मीना, कश्मीर

पश्मीना एक बेहद मुलायम और बढ़िया कपड़ा होता है, जो क्रीम रंग की बकरी के ऊन से बनाया जाता है। कश्मीरी में पश्मीना का मतलब नर्म सोना होता है। इसके कुछ डिजाइन हैंड ब्लॉक प्रिंट होते हैं और यह ब्लॉक कभी-कभी 100 साल से भी अधिक पुराने होते हैं। पश्मीना की एक शॉल बनाने में एक सप्ताह का समय लगता है। शॉल पर हाथ से कढ़ाई की जाती है, जिससे इसे तैयार होने में अधिक समय लगता है। काफी मेहनत की वजह से यह सबसे महंगे कपड़ों में से एक है।

फुलकारी, पंजाब

फुलकारी का सीधा मतलब 'फूलों का काम' होता है। इसे बनाने के लिए एक सुई, एक रेशम के धागे और उच्च स्तर के कौशल का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की कला में आमतौर पर फूलों, पत्तियों की डिजाइन बनाई जाती है। यह कपड़ा आमतौर पर कढ़ाई से बनाया जाता है और विभिन्न रंगों और डिजाइनों में उपलब्ध होता है। फुलकारी का इस्तेमाल साड़ियों, दुपट्टों, शॉल और अन्य कपड़ों को बनाने के लिए किया जाता है।

कांजीवरम, तमिलनाडु

कांजीवरम को शुद्ध शहतूत रेशम से बुना जाता है। यह एक प्रकार का रेशम है, जो भारत के तमिलनाडु राज्य के कांजीवरम शहर में बनाया जाता है। अपने चमकदार रंग, महीन बनावट और सुंदर डिजाइनों की वजह से यह भारत के सबसे प्रसिद्ध और महंगे रेशमों में से एक है। इसे बुनने के लिए बुनकर कोरवाई पद्धति का उपयोग करते हैं।

इकत, हैदराबाद

इकत कपड़ा रेशम, कपास और ऊन सहित विभिन्न प्रकार के रेशों से बनाया जा सकता है। इसे रेजिस्ट डाइंग तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। रंगाई से पहले धागों को बांधा या लपेटा जाता है, जिससे कपड़े में एक पैटर्न बनता है। इकत कपड़े का उपयोग अक्सर कपड़े, एक्सेसरीज और होम डेकोर की चीजों बनाने के लिए किया जाता है। यह अपने वाइब्रेंट रंगों और खूबसूरत पैटर्न के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि इकत कपड़े की शुरुआत भारत में हुई थी और आज भी इसका व्यापक रूप से उत्पादन किया जाता है। यह इंडोनेशिया, पेरू और जापान सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी बनाया जाता है।

बागरू प्रिंट, गुजरात

बागरू प्रिंट एक पारंपरिक प्रिंटिंग तकनीक है, जिसे नेचुरल डाई और कलर्स से बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल अक्सर साड़ी, कुर्ता और अन्य पारंपरिक भारतीय कपड़े बनाने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बागरू प्रिंट तकनीक की शुरुआत 15वीं शताब्दी में हुई थी। यह तकनीक फारस के बुनकरों द्वारा गुजरात लाई गई थी, जो तेजी से गुजरात में लोकप्रिय हो गया और अब यह दुनियाभर में सबसे प्रसिद्ध और विशेष भारतीय फैब्रिक प्रिंट्स में से एक हैं।