आंतरिक स्वास्थ्य और बाहरी सुंदरता (Inner Health And Outer Beauty) का आपस में गहरा संबंध है और यह बात सदियों से चली भी आ रही है। हमारा शरीर अंदर से कैसा है इस बात का सीधा असर हमारी बाहरी खूबसूरती (Skin Health) पर पड़ता है। आइए सीनियर कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट और हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमन दुआ से इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। "हमारे शरीर के अंदर क्या चल रहा है..." हमारी त्वचा इस बात का एक सच्चा आईना होती है। अगर आप अंदर से हेल्दी रहेंगे, तो पाएंगे (Connection Between Health And Beauty) कि त्वचा भी खूबसूरत और चमकदार होगी। जैसे, जब हम बीमार होते हैं तो हमारा चेहरा पीला पड़ जाता है, उसी तरह, अगर हमें अंदर से कोई समस्या है, जैसे कि पेट खराब रहना या तनाव रहना, तो हमारी त्वचा पर मुंहासे, एक्जिमा या झुर्रियां जैसी समस्याएं दिख सकती हैं। यानी, हमारी त्वचा हमें बताती है कि हमारे शरीर के अंदर क्या चल रहा है। इसलिए, सिर्फ त्वचा पर क्रीम लगाने से त्वचा की समस्याएं (Skin Problems) दूर नहीं होतीं, इसे दुरुस्त करने के लिए हमें अंदर की सेहत (Inner Health) पर भी ध्यान देना जरूरी होता है।
गट हेल्थ और सुंदरता
हमारा पेट और हमारी त्वचा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जब हमारा पेट सही से काम करता है, तो हमारी त्वचा भी अच्छी दिखती है। पेट हमारे खाने को पचाता है और उससे पोषक तत्व लेता है। ये पोषक तत्व हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। लेकिन अगर हमारा पेट ठीक से काम नहीं करता है, तो हमारी त्वचा पर मुंहासे, दाग और कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, अपनी त्वचा को अच्छा रखने के लिए हमें अपने पेट का भी ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है।
हमारी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार रखने के लिए विटामिन सी, विटामिन ई और जिंक जैसे पोषक तत्व बहुत जरूरी हैं। ये पोषक तत्व हमारी त्वचा को ठीक करने और नया बनाने में मदद करते हैं। फलों, सब्जियों, मछली और अच्छे तेलों जैसी चीजें खाने से हमारी त्वचा को ये पोषक तत्व मिलते हैं और हमारी त्वचा चमकदार दिखती है। लेकिन अगर हम बहुत ज्यादा जंक फूड, मिठाई और गंदे तेल का सेवन करते हैं तो इससे त्वचा से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ने लगती हैं। इसलिए, अच्छा खाना खाने से हमारी त्वचा भी हेल्दी रहती है।
प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स
गट हेल्थ हमारी ओवरऑल हेल्थ का आधार है। प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स इस बेस को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। दही, केफिर और सौकरकूट जैसे फर्मेंटेड फूड्स में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक्स, हमारी गट में रहने वाले अरबों बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये लाभकारी बैक्टीरिया पाचन को बेहतर बनाते हैं, इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और यहां तक कि मूड को भी बेहतर बना सकते हैं। वहीं, लहसुन, प्याज और केले जैसे फूड आइटम्स में पाए जाने वाले प्रीबायोटिक्स इन प्रोबायोटिक्स को बढ़ने और पनपने के लिए जरूरी पोषण देते हैं। हेल्दी गट न सिर्फ पाचन संबंधी समस्याओं को कम करती है बल्कि त्वचा की सेहत, मस्तिष्क के कार्य और यहां तक कि वेट मैनेजमेंट में भी मददगार होती है।
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हार्मोनल संतुलन
हार्मोनल असंतुलन की वजह से त्वचा पर मुंहासे, रूखापन और समय से पहले बुढ़ापे जैसे कई बदलाव देखे जा सकते हैं। तनाव, नींद की कमी और
अनहेल्दी खानपान जैसे कारण इस असंतुलन को बढ़ावा देते हैं।
रोजाना व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव कम करने वाली तकनीकें जैसे मेडिटेशन और योग, हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, अलसी, मेवे और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे फूड आइटम्स हार्मोनल हेल्थ को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए अपने हार्मोन्स को संतुलित रखकर आप एक हेल्दी और निखरी हुई त्वचा पा सकते हैं।
हाइड्रेशन क्यों है जरूरी?
हाइड्रेशन हमारे शरीर के अंदर और बाहर दोनों जगह बेहद खास भूमिका निभाता है। हमारा शरीर लगभग 60% पानी से बना होता है और हर कोशिका को सही ढंग से काम करने के लिए पानी की जरूरत होती है। जब हम पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो हमारी त्वचा रूखी और पपड़ीदार हो सकती है, जिससे झुर्रियां और फाइन लाइन्स दिखाई देने लगती हैं। ऐसे में, बता दें कि नियमित रूप से पानी पीने से हमारी त्वचा कोमल और चमकदार बनी रहती है। इसके अलावा, खीरा, तरबूज और संतरे जैसे पानी से भरपूर फल और सब्जियां खाना भी त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। हाइड्रेटिंग फेस मास्क और ट्रीटमेंट्स जैसे शीट मास्क और ओवरनाइट मास्क भी त्वचा को गहराई से पोषण देते हैं। हयालूरोनिक एसिड, नियासिनमाइड और सेरामाइड्स जैसी चीजें त्वचा की बनावट और रंगत में सुधार करने में काफी मदद करती हैं।
त्वचा की नमी और इलास्टिसिटी बढ़ाने के लिए आजकल बायो-रीमॉडलिंग और हाइड्रोस्ट्रेच थेरेपी बहुत लोकप्रिय हैं। बायो-रीमॉडलिंग में त्वचा के अंदर हयालूरोनिक एसिड इंजेक्ट किया जाता है। इससे त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, जिससे त्वचा हेल्दी और चमकदार हो जाती है। यह त्वचा को अंदर से पोषण देता है और उसे जवां बनाए रखता है। वहीं, हाइड्रोस्ट्रेच थेरेपी में
त्वचा को हाइड्रेट किया जाता है और उसे कसने का काम किया जाता है। इस थेरेपी में हयालूरोनिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है जो त्वचा को नमी देता है, झुर्रियों को कम करता है और त्वचा की बनावट को बेहतर बनाता है।
मेंटल हेल्थ का असर
मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। यह संबंध हमारी त्वचा पर भी साफ तौर पर दिखाई देता है। जब हमारा मन शांत होता है और हम अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं, तो यह हमारी त्वचा की चमक पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। आत्मविश्वास और पॉजिटिव एटीट्यूड से हमारी त्वचा निखर उठती है।दूसरी ओर, लगातार तनाव और चिंता की स्थिति में हमारी त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मुंहासे, सोरायसिस और एक्जिमा जैसी कई त्वचा संबंधी समस्याएं तनाव के कारण बढ़ सकती हैं। तनाव के दौरान हमारे शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो सूजन पैदा करता है और त्वचा की मरम्मत की प्रक्रिया को धीमा कर देता है।
अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए हम विभिन्न तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान, कृतज्ञता अभ्यास और आत्म-देखभाल जैसे तरीके हमारे मन को शांत रखने में मदद करते हैं। साथ ही, अपने शौक में समय बिताना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना और जरूरत पड़ने पर किसी मनोवैज्ञानिक से सलाह लेना भी फायदेमंद होता है।अपनी त्वचा की विशेष देखभाल के लिए किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना भी जरूरी है। वे आपकी त्वचा की समस्याओं का सही कारण जानकर आपको उपयुक्त सलाह और इलाज दे सकते हैं। साथ ही, एक संतुलित आहार और नियमित रूप से त्वचा की देखभाल करना भी जरूरी है।
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