Move to Jagran APP

Paithani Saree: हरे रंग की साड़ी में छा गईं नीता अंबानी, पढ़ें 'साड़ियों की रानी' पैठाणी की दिलचस्प कहानी

महाराष्ट्र में किसी भी शादी या त्योहार पर आपने अक्सर ही महिलाओं को पैठणी साड़ी पहने देखा होगा। हाल ही में नीता अंबानी ने भी गणेश चतुर्थी के अवसर पर बेहद ही सुंदर हरे रंग की पैठणी साड़ी पहनी थी जिसमें वह काफी खूबसूरत लग रही थीं। आइए जानें क्या है पैठणी साड़ी का इतिहास है और कैसे करें इसकी पहचान।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaPublished: Thu, 21 Sep 2023 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 21 Sep 2023 07:35 PM (IST)
जानें क्या है नीता अंबानी की साड़ी की खासियत

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Paithani Saree: गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति के स्वागत के लिए मुकेश अंबानी और नीता अंबानी ने अपने घर अंतिलिया में एक भव्य आयोजन किया था। इस मौके पर नीता अंबानी ने एक बड़े ही सुंदर साड़ी पहनी थी, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। चलिए आपको भी बताते हैं उनकी इस खास साड़ी के बारे में।

यह भी पढ़ें: साड़ी के साथ पहनना चाहती हैं जैकेट, तो इन एक्ट्रसेस के लुक्स को करें रिक्रिएट

नीता अंबानी ने गहरे हरे रंग की पैठणी साड़ी पहनी थी, जिसका गोल्ड-ब्रॉन्ज रंग का बॉर्डर बेहद ही सुंदर फूलों के मोटिफ से सजा था। महाराष्ट्र में औरतें किसी भी मंगल प्रसंग पर पैठणी साड़ी पहनती है। इसे साड़ियों की रानी भी कहा जाता है। ब्राइट रंग, गोल्डन बॉडर और जरीदार पल्लु की यह साड़ी देखने में जितनी सुंदर लगती है, इसे बनाने में भी उतनी ही मेहनत लगती है। आइए जानते हैं क्या है पैठणी का इतिहास।

कैसे हुई पैठणी की शुरुआत

पैठणी साड़ी का इतिहास काफी पुराना है। पैठणी बनाने की शुरुआत औरंगाबाद से 50 कि.मी दूर पैठान नाम की जगह पर सतवाहना वंश के राज में हुई थी। इसी जगह के नाम पर इस साड़ी का नाम पैठणी पड़ा। इसके बाद पुणे के पेशवा ने इसे शिरडी के पास यिओला में भी इसे बनाने की शुरुआत की।

कैसे बनाई जाती है और कैसे करें असली पैठणी की पहचान?

पैठणी साड़ी को मलबरी सिल्क से बनाया जाता है और इसके पल्लु और बॉडर पर जरी का काम होता है। पैठणी के शुरुआती दिनों में साड़ी सूती की बनाई जाती थी और सिल्क का इस्तेमाल उसका बॉडर बनाने में किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे पैठणी में बदलाव आया और अब जो पैठणी बनाई जाती है वह सिर्फ सिल्क से बनती है।

यह भी पढ़ें: सिल्क की साड़ी में लग गए हैं दाग, तो घबराएं नहीं इस आसान तरीके से करें दूर

जरी के काम लिए सोने या चांदी की तारों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कीमत ज्यादा होने के कारण आजकल ज्यादातर लोग सोने और चांदी के तारों का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि उसी रंग के किसी अन्य धातु की तार का इस्तेमाल करते हैं। पैठणी भारत की हस्त कला का बेहद ही सुंदर उदाहरण है। इसे हाथ से बुना जाता है। इसे बनाने में किसी भी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता। इसकी बुनाई टेपेस्ट्री तकनीक जैसी ही होती है। इसकी बुनाई की अनोखी कला को आप इस तरह से समझ सकते हैं कि यह साड़ी आगे और पीछे दोनों ही तरफ से एक जैसी दिखती है। इसे ज्यादातर ब्राइट रंग में बनाया जाता है, जो इसकी एक और खासियत है। पैठणी साड़ी पर ज्यादातर तोते, मोर, फूल, देवी-देवताओं और आसावली (फूल की लताएं) के मोटिफ होते हैं। पैठणी की पहचान करने में यह भी आपकी मदद कर सकते हैं।

Picture Courtesy: Instagram 


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.