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बदल रही है जूतों की दुनिया! अब फैशन के साथ-साथ कम्फर्ट का भी ध्यान रख रही हैं कंपनियां

जेन जी की फुटवियर के प्रति पसंद को देखते हुए कंपनियों का जोर कंफर्ट पर है। एक जर्मन कंपनी के जूते तो कंफर्ट के लिए पेटेंट डिजाइन पर ही तैयार हो रहे हैं। जूतों की बदलती रंगत के बारे में जानने के लिए यह रिपोर्ट पढ़िए। फैशन और कम्फर्ट को कैसे आपस में जोड़ रहे हैं जूते यह देखकर आप हैरान रह जाएंगे। आइए जानें इस बारे में।

By Jagran News Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 25 Nov 2024 03:42 PM (IST)
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कंफर्ट और फैशन दोनों मिलेंगे अब एक ही जूते में (Picture Courtesy: Freepik)
अंबुज उपाध्याय, नई दिल्ली। Fashion Tips: विवाह समारोह में लहंगा-चोली पहनकर 26 साल की अनाया को डीजे पर लगातार तीन घंटे तक डांस करते देख मौसी हैरान हैं तो चाचू को चिंता है उसके पैरों की। हील्स पहनकर इतनी देर डांस करना मुश्किल है, मगर अनाया को इसकी कोई फिक्र नहीं, क्योंकि उन्होंने तो लहंगे से मैचिंग हील्स के बजाय पहने हैं जरी वर्क वाले स्नीकर्स। यह जेन जी का नया शौक है। उन्हें संजना- संवरना तो है मगर कंफर्ट से कोई समझौता नहीं करना चाहते। फार्मल हो या पार्टीवियर, अब फुटवियर का बाजार बदल चुका है। अब कंफर्ट सबसे जरूरी है। ऐसे में महिलाओं की हील से लेकर पुरुषों के जूतों तक स्नीकर्स ने 70 प्रतिशत कब्जा जमा लिया है। जूता निर्यातक उपेंद्र सिंह लवली बताते हैं, ‘आगरा के फुटवियर उत्पादों ने यूरोपीय देशों, अमेरिका में अपनी जबर्दस्त पकड़ बनाई है। जूते का जन्मदाता और फैशन निर्धारित करने वाला इटली भी भारत की ओर देख रहा है और अपनी आवश्यकता बता रहा है।’

जैसा मौसम वैसी रंगत

जूता कंपोनेंट उद्यमी और श्राफ ग्रुप के डायरेक्टर राजेश मगन बताते हैं, ‘अब ड्रेस सेंस व ड्रेस कोड के साथ ही जूते के रंग और डिजायन बदल रहे हैं। लोगों को अब फैशन के साथ ही आराम चाहिए। हल्के रंग सर्वाधिक पसंद किए जाते हैं, तो समारोह में गहरा भी चल रहा है।’ जूता निर्यातक राजेश खुराना का कहना है, ‘अब ग्राहकों की मांग के अनुसार शेड, डिजायन तैयार कराए जा रहे हैं।

इनमें लागत कुछ अधिक आती है, लेकिन यूनिक पसंद करने वाले जेन जी के बीच इनका क्रेज है।’ आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर के अध्यक्ष पूरन डावर बताते हैं, ‘जूते की दुनिया में रोज नए रंग तय होते हैं। सामान्य रंग जैसे ब्लैक या ब्राउन फुटवियर के अलावा सर्दियों में प्राकृतिक रंगों के शेड ट्रेंड में रहते हैं, जबकि गर्मियों में पेस्टल कलर को खूब पसंद किए जाते हैं। यूरोपीय देशों में वहां के मौसम के अनुसार बूट की मांग रहती है, तो अन्य देशों में स्नीकर्स का प्रचलन बढ़ रहा है।’

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सज रहे हैं स्नीकर्स

जूता उद्यमी रनवित खुराना बताते हैं, ‘महिलाओं में पार्टी वियर स्नीकर्स की मांग बढ़ी है। सो, अब स्नीकर्स पर एंब्रायडरी और मैटल बटन का काम ज्यादा कराया जा रहा है। जितनी ज्यादा कलाकारी होगी, उसी अनुसार कीमत तय होती है।’ जूता निर्यातक चंद्रमोहन सचदेवा बताते हैं कि अब लोगों के काम करने के घंटे बढ़े हैं, जिससे वे भारी और बोझिल जूते या सैंडल पहनना पसंद नहीं करते, इसलिए स्पोर्ट्स शूज इंडस्ट्री की ग्रोथ भी तेजी से बढ़ी है।

कदमों की आहट से होगी पहचान

जूता उद्यमी कुलदीप सिंह कोहली बताते हैं, ‘जूता इंडस्ट्री स्मार्ट जूता तैयार करने पर विचार कर रही है, जो एआइ से चलेगा। इसमें कदमों की आहट से लोगों को पहचान लिया जाएगा। साथ ही स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने वालों को जूते यह भी अपडेट देंगे कि कितना कदम चले!’ आगरा की 6000 से अधिक छोटी-बड़ी इकाइयों से 70 से अधिक देशों में जूतों का 5,000 करोड़ रुपये का सालाना निर्यात होता है। यहां 65 प्रतिशत से अधिक देश के घरेलू बाजार में आपूर्ति और 18 हजार करोड़ रुपये का स्थानीय स्तर पर कारोबार है।

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