World Saree Day: पटोला, चंदेरी से लेकर बनारसी...साड़ी दिवस पर जानें क्यों इतनी महंगी होती है ये साड़ियां
World Saree Day हर साल दिसंबर की 21 तारीख को वर्ल्ड साड़ी डे मनाया जाता है। साड़ी भारतीय परिधान का खास हिस्सा हैं। इन्हें हर एक मौके पर कैरी कर खूबसूरत लुक पाया जा सकता है। अगर आप भी हैं साड़ी लवर तो आपको अपने वॉर्डरोब में कुछ खास तरह की साड़ियों को जरूर शामिल करना चाहिए। जान लें यहां इसके बारे में।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Thu, 21 Dec 2023 10:44 AM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Saree Day: साड़ी हमारे इंडियन वेयर का सबसे खास हिस्सा हैं। जैसे-जैसे समय बदलता गया साड़ी की बनावट और पहनने के तरीके में बदलाव आते गए, लेकिन ये कभी भी आउट ऑफ ट्रेंड नहीं हुआ। नाइन यार्ड के इस ताने-बाने का भारतीय संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। पहले जहां इसकी एक-दो वैराइटी ही थीं वहीं आज इसकी अनगिनत वैराइटीज़ मार्केट में अवेलेबल हैं। साड़ियां पारंपरिक मौके पर ही नहीं, बल्कि हर एक इवेंट के लिए परफेक्ट हैं। साड़ियों के इसी महत्व को बताने और इसके कारीगरों की मेहनत को लोगों तक पहुंचाने के मकसद दुनियाभर में 21 दिसंबर को वर्ल्ड साड़ी डे मनाया जाता है। अगर आप भी हैं साड़ियों की शौकीन, तो अपने वॉर्डरोब में इन साड़ियों को शामिल करना तो बनता है।
बनारसी साड़ी
मुगल पीरियड में बनारसी साड़ियां को बनाने और पहनने का ट्रेंड शुरू हुआ था। इन साड़ियों की खासियत है मुगल इन्फ्लुएंस्ड डिज़ाइन्स, जैसे कि कॉम्प्लेक्स इंटरफ्लीनिंग फ्लोरल औऱ फोलेट मोटिफ्स, कलगा और बेल, ऊपर की ओर पत्तियों वाला डिज़ाइन जिसे झालर कहते हैं। इन्हें तैयार होने में दो हफ्ते से लेकर एक महीने तक का समय लगता है। वैसे कई साड़ियों में छह से आठ महीने भी लगते हैं।
पटोला
गुजरात के पाटन में बनाई जाती है ये साड़ी। जिसकी खासियत है इसका डिजाइन और फैब्रिक। इसे एब्स्ट्रैक्ट डिज़ाइन से दिखाया जाता है। इन डिजाइन्स को नारी-कुंजर भाट, पान भाट, नवरत्न भाट, वोहरागजी, फुलवती भाट और रतन चौक भाट जैसे कई नामों से जाना जाता है। इन डिज़ाइन्स में पक्षियों, फूल और मानव आकृतियों को शामिल किया जाता है। यह गुजरात की ट्रेडिशन साड़ी है। हां, इनका बजट बहुत ज्यादा होता है।कांजीवरम
यह साड़ी अपने गोल्डन जरी बॉर्डर, कंट्रास्ट कलर पैटर्न और ट्रेडिशनल डिज़ाइन की वजह से महिलाओं को बहुत पसंद आती है और साड़ी लवर्स के वॉर्डरोब में कांजीवरम साड़ी न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। सोने और चांदी के तारों से बनी जानेे वाली इस साड़ी की कीमत 25,000 से लेकर 1 लाख तक हो सकती है। लुक के साथ ही इस साड़ी को बनाने का तरीका भी अलग होता है। साड़ी की बॉडी, बॉर्डर और पल्ला अलग-अलग बनाया जाता है फिर इसे जोड़ा जाता है।
चंदेरी
चंदेरी साड़ियां सुनहरी जरी से बुनी, लाइट वेटेड और चमकदार साड़ियां होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बड़ौदा की महारानी कारीगरों को बेहतरीन सूत देकर चंदेरी साड़ियां बुनवाती थीं। इन साड़ियों की पहचान होती है कि एक पूरी साड़ी को मुट्ठी में भरा जा सकता है। पहले के समय में राजघराने की महिलाएं केसर के रस से साड़ियों के धागे रंगवाती थीं। जिस वजह से साड़ियों से केसर की भी भीनी-भीनी खुशबू आती रहती थी। चंदेरी साड़ियों को अलग लुक देता है बारीक जरी की किनारी। इसकी जरी में चांदी से बने धागों में सोने का पानी चढ़ा होता है।जामदानी
जामदानी साड़ियां बांग्लादेश में खासतौर से तैयार की जाती हैं। महीन धागों से बनी ये साड़ी शीयर लुक होती है। इसी वजह से ये वजन में भी हल्की और नाजुक होती है, लेकिन इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। 20,000 से लेकर 2 लाख तक तक भी जामदानी साड़ी आती है।
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