Bha Shoe Sizing System: क्या है भारत का नया शू साइजिंग सिस्टम 'भा', जिससे मिलेगा आपको जूते का परफेक्ट साइज
जूते-चप्पल खरीदने के लिए अभी तक आप और हम यूके-यूएस यानी यूरोपीय या अमेरिकी नाप का इस्तेमाल ही करते आए हैं जो कि कई बार पैरों में फिट नहीं बैठते हैं या साइज बड़ा होने पर मिलते भी नहीं हैं। ऐसे में अब इस सिस्टम में बड़ा बदलाव (Bha Shoe Sizing System) आने वाला है जिसके बाद भारतीयों को यूके और यूएस साइजिंग पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। आइए जानें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Bha Shoe Sizing System: देश में बहुत जल्द ही भारतीय मानकों के मुताबिक जूता मिलने लगेगा और आपको यूके-यूएस नंबर के फुटवियर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बता दें, अभी तक बाजार में फुटवियर खरीदने के लिए कोई इंडियन स्टैंडर्ड साइज मौजूद नहीं है। ऐसे में अब साल 2025 तक 'भा' कोड लागू कर दिया जाएगा, जो कि भारत का अपना 'आत्मनिर्भर' शू साइजिंग सिस्टम (Indian Shoe Sizing System) होगा। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों पड़ी देश को इसकी जरूरत।
क्यों महसूस हुई नए शू सिस्टम की जरूरत?
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च द्वारा डेवलप किए गए इस 'Bha' मानक का मतलब 'Bharat' से है। दरअसल, साल 2021 से 2022 के बीच एक सर्वे किया गया था, जिसमें 3D टेक्नोलॉजी की मदद से अलग-अलग जगहों पर रहने वाले एक लाख से ज्यादा भारतीयों के पैरों की माप ली गई थी।यह भी पढ़ें- अब जानवरों की नुकसान पहुंचाए बिना तैयार होगा लेदर
सर्वे में पाया गया कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में बदलाव 11 साल की उम्र में चरम पर होता है जबकि एक भारतीय पुरुष के पैर के आकार में बदलाव लगभग 15 या 16 साल में होता है। नतीजों से खुलासा हुआ कि मौजूदा साइजिंग सिस्टम और इंडियन फुटवियर साइज की मॉर्फोलॉजी में काफी असमानताएं हैं। पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों के पैर ज्यादा चौड़े होते हैं, ऐसे में उन्हें या तो ढीले या फिर ज्यादा टाइट जूते पहनने पर मजबूर होना पड़ता है, जिसके कारण पैरों से जुड़ी कई समस्याएं भी होती हैं।