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क्यों हर दुल्हन की पसंद है फिरोजाबाद की चूड़ियां, 'सुहाग नगरी' के नाम से मशहूर है उत्तर प्रदेश का ये शहर

भारत में चूड़ियां न सिर्फ सुहाग की निशानी हैं बल्कि शृंगार का अहम हिस्सा भी हैं। आज हम जानेंगे उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की मशहूर चूड़ियों के बारे में जिसके चलते इस शहर को City of Bangles के नाम से भी जाना जाता है। फिरोजाबाद के बाजार में आपको चूड़ियों की एक रंगीन दुनिया देखने को मिलेगी जहां हर गली आपको नए रंगों और डिजाइनों से रूबरू कराती है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Mon, 16 Sep 2024 01:41 PM (IST)
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Firozabad Bangles: फिरोजाबाद की चूड़ियां जो मोह लेती हैं हर दुल्हन का मन
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद (Firozabad) शहर सदियों से कांच की चूड़ियों (glass bangles) के लिए प्रसिद्ध रहा है। 'सुहाग नगरी' के नाम से मशहूर इस शहर की चूड़ियां न केवल भारतीय महिलाओं के श्रृंगार का अहम हिस्सा रही हैं बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत का भी एक अभिन्न अंग हैं। कांच की इन पारंपरिक चूड़ियों में सदियों से नए प्रयोग होते रहे हैं और आज भी यह परंपरा जारी है। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं इसकी खासियत के बारे में।

फिरोजाबाद में मिलती हैं हर तरह की चूड़ियां

आज के समय में चूड़ियां सिर्फ एक पारंपरिक गहना नहीं रह गई हैं, बल्कि फैशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई हैं। फिरोजाबाद के कारीगर पारंपरिक डिजाइनों के साथ-साथ आधुनिक रुझानों को भी अपनाकर महिलाओं की पसंद के अनुरूप चूड़ियां बना रहे हैं। चाहे वह लेटेस्ट डिजाइन की कुंदन की चूड़ियां हों या फिर फ्यूजन ज्वेलरी के साथ मैच करने वाली चूड़ियां, फिरोजाबाद में आपको हर तरह की चूड़ियां मिल जाएंगी। देखा जाए, तो चूड़ियों के शौकीनों के लिए फिरोजाबाद शहर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। घंटाघर के पास बोहरान गली में स्थित यह बाजार देश की सबसे बड़ी चूड़ी मार्केट के रूप में जाना जाता है।

लाखों कारीगरों को मिल रहा रोजगार

फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग सिर्फ एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी विरासत है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। यह उद्योग न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों लोगों के लिए रोजगार का एक प्रमुख स्रोत भी है।

फिरोजाबाद में चूड़ी उद्योग से जुड़े कारीगरों और श्रमिकों का एक विशाल समुदाय है। ये कारीगर अपनी कला और कौशल के माध्यम से पारंपरिक कांच की चूड़ियों को एक नया रूप देते हैं। वे अपने हाथों से इन चूड़ियों को इतने खूबसूरती से बनाते हैं कि वे देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर दें।

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पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा

चूड़ी उद्योग न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए रोजगार का सृजन करता है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। चूड़ियों का निर्यात भी किया जाता है, जिससे देश की विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलती है। फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग ने भारत की पारंपरिक कला को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सदियों से चली आ रही इस कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में यह उद्योग अहम योगदान देता है।

ऐसे तैयार होती हैं रंग-बिरंगी चूड़ियां

फिरोजाबाद में चूड़ियों का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरण शामिल होते हैं। सबसे पहले, उच्च गुणवत्ता वाली रेत, सोडा ऐश और कैल्साइट को मिलाकर एक घोल तैयार किया जाता है। फिर इस घोल में विभिन्न रंगों के लिए अलग-अलग रसायन मिलाए जाते हैं। इस घोल को भट्टी में पिघलाया जाता है और फिर उसे चूड़ियों के आकार में ढाला जाता है।

फिरोजाबाद की चूड़ियों की कहानी

फिरोजाबाद का इतिहास बेहद पुराना है। यहां सदियों से चूड़ियों का निर्माण होता रहा है। इस शहर में चूड़ियों का कारोबार लगभग 200 साल से अधिक पुराना है। धीरे-धीरे यह शहर चूड़ियों के उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन गया और आज यह दुनिया में कांच की चूड़ियों का सबसे बड़ा निर्माता है।

फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग एक ऐसी विरासत है जो सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि इस उद्योग की शुरुआत हाजी रुस्तम नामक एक कारीगर ने 1920 के दशक में की थी। इन्हें ही फिरोजाबाद में कांच उद्योग का पिता कहा जाता है। हाजी रुस्तम के प्रयासों से फिरोजाबाद में कांच की चूड़ियों का उत्पादन शुरू हुआ और धीरे-धीरे यह शहर चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध हो गया।

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