Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Dhunuchi Dance के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा, जानें क्यों माना जाता है ये इतना महत्वपूर्ण

दुर्गा पूजा 8 अक्टूबर से शुरू हो रहा है जो 13 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान मां दुर्गा के कई पंडाल लगाए जाते हैं जहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इस त्योहार की सबसे अनोखी धूम बंगाल में देखने को मिलती है। इस दौरान धुनुची नृत्य (Dhunuchi Dance Significance) का खास महत्व होता है जो सप्तमी से शुरू होकर महानवमी तक किया जाता है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Sun, 06 Oct 2024 01:19 PM (IST)
Hero Image
क्यों Durga Puja में इतना महत्वपूर्ण है धुनुची डांस? (Picture Courtesy: Instagram)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Durga Puja 2024: दुर्गा पूजा भारत में सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो देवी दुर्गा की पूजा और उत्सव के लिए मनाया जाता है। वैसे तो इस त्योहार को पूरे देश में बड़े उल्लास से मनाया जाता है, लेकिन बंगाल की बात ही कुछ और है। दुर्गा पूजा का जैसा दृश्य बंगाल में देखने को मिलता है, वैसा शायद ही कहीं और देखने को मिलता है। बंगाल के लिए दुर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस साल ये (Durga Puja 2024) 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान बंगाल की हर गली में आपको दुर्गा माता के पंडाल देखने को मिल जाएंगे, जहां अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं। इनमें से एक धुनुची नृत्य (Dhunuchi Dance) भी है।

क्या है धुनुची नृत्य?

धुनुची डांस एक बेहद अनूठा नृत्य है, जिसे दुर्गा पूजा के दौरान खासतौर से किया जाता है। यह एक पारंपरिक नृत्य है जिसमें नर्तक एक धुनुची नामक बर्तन को अपने सिर पर संतुलित करते हुए नृत्य करते हैं। धुनुची मिट्टी का बना एक बर्तन होता है, जिसमें धूप, नारियल की जटाएं और अन्य हवन सामग्रियां जलाई जाती हैं, जिससे बड़ी लुभावनी खुशबू आती है। ऐसा माना जाता है कि इस सुगंध से देवी प्रसन्न होती हैं। इसलिए देवी के सामने धुनुची नृत्य किया जाता है।

यह भी पढ़ें: जानिए कब से शुरू होगा दुर्गा पूजा का उत्सव, इस तरह करें देवी मां को प्रसन्न

महानवमी पर है खास महत्व

ये सप्तमी से शुरू हो जाता है और महानवमी के दिन तक किया जाता है। इस नृत्य का खास महत्व महानवमी पर होता है। इस डांस में नर्तक धुनुची को अपने सिर पर संतुलित करते हुए अलग-अलग मुद्राओं में नृत्य करते हैं, जो देखने में काफी आकर्षक लगता है। इस डांस में धुनुची को लोग हाथ में पकड़कर नृत्य करते हैं, लेकिन कुछ लोग इतने माहिर होते हैं कि वो मुंह से इसे पकड़कर भी डांस कर लेते हैं।

लेकिन इस डांस की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे कोई भी कर सकता है। महिला या पुरुष जो भी चाहे, इसे बड़ी आसानी से एक-दूसरे को देखकर किया जा सकता है।

क्यों किया जाता है धुनुची नृत्य?

धुनुची नृत्य का संबंध शक्ति से है। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने से पहले अपनी शक्तियों को और बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था। तभी से इस नृत्य की शुरुआत हुई थी, जिसे भक्तजन आजतक करते आ रहे हैं। इसके अलावा, एक मान्यता ये भी है कि धुनुची में जलाई गई धूप और चावल देवी दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। नर्तक अपने नृत्य के माध्यम से देवी दुर्गा की स्तुति करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

धुनुची नृत्य कैसे किया जाता है?

इस नृत्य को करने के लिए लोग अपने एक या दोनों हाथों में जलता हुआ धुनुची पकड़ते हैं और इससे अलग-अलग करतब करते हुए एक साथ तालमेल बिठाकर नृत्य करते हैं। इस दौरान इनका तालमेल देखते ही बनता है। महिलाएं इस डांस को करते समय ज्यादातर साड़ी पहनती हैं, वो भी बंगाली स्टाइल में और पुरुष धोती-कुर्ता या कुर्ता पायजमा पहनते हैं।

यह भी पढ़ें: 450 साल पुरानी सिंदुर खेला की परंपरा, मां दुर्गा की विदाई पर खास मान्यता