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गुजिया

गुजिया देश की सबसे मशहूर और पारंपरिक मिठाई है। होली पर इसे बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन क्या आप जानते हैं गुजिया को आखिर सबसे पहले किसने बनाया। आइए गुजिया के बारे में जानते हैं सबकुछ।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Tue, 07 Mar 2023 04:55 PM (IST)
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यहां जानें गुजिया के बारे में सबकुछ
होली वैसे तो रंगों का त्योहार है, लेकिन अगर आप खाने के शौकीन हैं, तो होली अलग-अलग तरह के जायको का भी त्योहार है। इस खास त्योहार के दिन भारतीय घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन इन सभी में गुजिया एक ऐसी डिश है जिसके बिना होली अधूरी है। जब हम होली के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले ख्याल गुजिया के मजेदार स्वाद का ही आता है। गुजिया उत्तर भारत की सबसे मशहूर और पारंपरिक मिठाई है, जिसमें खोया और ड्राईफ्रूट्स भरे जाते हैं।

गुजिया का इतिहास

होली पर गुजिया बनाने की प्रथा सदियों पुरानी जरूर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसका जन्म भारत में नहीं हुआ था। इतिहास की मानें, तो इसे सबसे पहले 13वीं सदी में बनाया गया था। उस वक्त गेंहू के आटे की छोटी रोटी बनाकर इसमें गुड़ और शहद का मिश्रण भरा जाता था और इसे धूप में सुखाया जाता था। ऐसा माना जाता है गुजिया सोमेसे का ही एक मीठा रूप है और यह अरब देशों से भारत तक पहुंची।

गुजिया का तुर्किये (Turkiye) कनेक्शन

गुजिया को आखिर किसने सबसे पहले तैयार किया, इसे लेकर कई तरह की थियोरी हैं। इनमें से एक यह भी है कि यह तुर्किये से आई। तुर्किये में बनाया जाने वाला मशहूर बकलावा, गुजिया की तरह की ही डिश है। इसे भी आटे से तैयार की गई परत में ड्राई-फ्रूट्स को भरकर तैयार किया जाता है। इसलिए माना जाता है कि गुजिया का आइडिया तुर्किये से आया।

भारत में गुजिया का इतिहास

भारत में अगर गुजिया के जन्म की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि यह बुंदेलखंड की देन है। इसी इलाके में मैदे की परत में खोया भरकर गुजिया को बनाया गया। जिसके बाद यह उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक पहुंची।

वृंदावन में, राधा रमण मंदिर वर्ष 1542 में बना था, जो इस शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। गुजिया और चंद्रकला आज भी यहां के पकवान का हिस्सा हैं। जिससे यह पता चलता है कि यह कम से कम 500 साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है।

इन राज्यों में हैं गुजिया के अलग-अलग नाम

देशभर में गुजिया को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बिहार में गुजिया को पेड़किया के नाम से जानते हैं, तो महाराष्ट्र में करंजी और गुजरात में घुगरा के नाम से प्रचलित है।

होली पर क्यों बनती है गुजिया

मन्यताओं के अनुसार, फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन बुंदेलखंड के लोगों ने अपने प्रिय भगवान कृष्ण को आटे की लोई को चाशनी में डूबोकर खिलाया था, जो उन्हें काफी पसंद आई थी। तभी से होली के दिन गुजिया बनाने की परंपरा शुरू हो गई।