Hartalika Teej 2023: पहली बार मना रही हैं हरतालिका तीज, तो ऐसे कैसे करें तैयारी
Hartalika Teej 2023 हरतालिका तीज शादीशुदा महिलाओं और यहां तक कि कुवांरी लड़कियों के लिए भी खास अहमियत रखता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के लिए निरजला व्रत रखती हैं। तो कुंवारी लड़िकयां अच्छे वर के लिए इस व्रत को रखती हैं। अगर आप भी पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं तो जानें कैसे इसकी तैयारी करनी चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Fri, 15 Sep 2023 10:54 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का एक ऐसा व्रत है जिसे शादीशुदा महिलाएं तो रखती ही हैं, साथ ही अच्छे वर की इच्छा रखने वाली कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं। इसे आमतौर पर तीज या तीजा भी कहते हैं। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा।
इस व्रत में महादेव शिव जी और माता गौरी पार्वती की पूजा करते हैं। दिन भर निर्जला निराहार व्रत रख के महिलाएं रात में पूर्ण श्रृंगार कर के शिव जी और पार्वती जी की पूजा करती हैं।
क्या है हरतालिका का अर्थ?
माता पार्वती को जब यह बात पता चली कि उनके पिता ने भगवान विष्णु से उनका विवाह सुनिश्चित किया है, तो वह अत्यंत दुखी हो गईं। उनके दुख को देख कर पार्वती जी की एक सहेली ने उनसे उनके दुख का कारण पूछा। पार्वती जी ने अपनी व्यथा सुनाई कि वे सच्चे दिल से भगवान शिव की आराधना करती हैं और अपने पति के रूप में उनके अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती हैं। तब उनकी सखी ने उन्हें समझाया कि वे हिम्मत न हारें और उनके साथ चलें। इस तरह पार्वती जी को समझा कर उनकी सखी उन्हें जंगल में एक तप स्थली पर ले गई, जहां उनके पिता भी न पहुंच सकें। वहां पार्वती जी शिव जी के लिए कठोर तप करने लगीं। जिसके फलस्वरूप शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उनसे विवाह करने के लिए तथास्तु बोला। इसके बाद पार्वती जी ने अपना व्रत तोड़ा और अगली सुबह पारण किया। यह दिन भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को था।यह भी पढ़ें: हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार का है विशेष महत्व, इन चीजों को जरूर करें शामिलहरतालिका शब्द का अर्थ है कि पार्वती जी की सखी उन्हें हर के ले गई थी मतलब अगवा करके ले गई थी इसलिए हर, और तालिका का अर्थ है सखियां।
कैसे मनाएं हरतलिका तीज
- चौबीस घंटे निराजल और निराहार रहें।
- एक दिन पहले हाथों में मेंहदी रच लें।
- मिट्टी के भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाएं।
- केले के पत्ते का मंडप बनाएं।
- शाम में नए कपड़े पहन कर सोलह श्रृंगार करें।
- प्रतिमा के सामने दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
- फल, फूल, मिठाई, माला, दुर्वा, बेलपत्र और शमीपत्र चढ़ाएं।
- श्रृंगार का सामान जैसे चूड़ी, बिंदी, आलता, नेलपॉलिश, लिपस्टिक, लाल कपड़े आदि पार्वती जी को चढ़ाएं।
- हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें और सुनाएं।
- इसके बाद गणेश जी, शिव जी और पार्वती जी की आरती करें।
- अगले दिन पारण करें।
- पति की दीर्घायु और अच्छे वर की तलाश के लिए ये व्रत जरूर करें।
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