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डॉ. राधाकृष्णन के एक विचार से हुई थी Teacher’s Day मनाने की शुरुआत, छात्रों की इच्छा को ऐसे किया था पूरा

हर साल 5 सितंबर को National Teacher’s Day मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार जताने का एक बढ़िया मौका है। यूं तो दुनियाभर में 5 अक्टूबर को टीचर्स डे मनाया जाता है लेकिन भारत में डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर इस को सेलिब्रेट किया जाता है। जानते हैं इस दिन का इतिहास (Teachers Day 2024 History) और महत्व।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 04 Sep 2024 01:23 PM (IST)
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जानें कैसे हुई शिक्षक दिवस की शुरुआत (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ‘गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरू अपने गोविंद दियो बताय’ हम सभी में कभी न कभी इस दोहे का पाठ जरूर किया होगा। संत कबीर दास के लिखे इस दोहे में एक व्यक्ति के जीवन में गुरू की अहमियत और उनके प्रति शिष्य का आदर साफ दिखाई देता है। हम सभी के जीवन में टीचर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमें समाज में रहने और आगे बढ़ने की सीख देने के साथ-साथ शिक्षक हमें जीवन जीना भी सिखाते हैं। वह न सिर्फ हमारे वर्तमान को संवारते हैं, बल्कि हमारा भविष्य भी निखारते हैं।

यही वजह कि शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार जताने के मकसद हर साल भारत में 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस यानी National Teacher’s Day मनाया जाता है। यूं तो दुनियाभर में World Teacher’s Day 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में इस दिन को एक महीने पहले मनाने की एक खास वजह है, जो हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ( Dr sarvepalli Radhakrishnan) से जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाने की वजह-

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5 सितंबर को क्यों मनाते हैं भारत में शिक्षक दिवस?

भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की एक खास वजह है और वजह भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से संबंधित है। दरअसल, 5 सितंबर डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिवस की तारीख है और इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। 5 सितंबर, 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी में जन्मे डॉ. राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और विद्वान होने के साथ-साथ एक कुशल शिक्षक भी थे। उन्हीं की याद में हर साल भारत में 5 सितंबर को Teacher’s Day मनाया जाता है।

कैसे हुई इस दिन की शुरुआत?

इस दिन की शुरुआत भी बड़े ही दिलचस्प तरीके से हुई थी। दरअसल, बात साल 1962 की है, जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने और उनका जन्मदिन आया। इस मौके पर उनके कुछ छात्र उनसे मिलने पहुंचें और उनका जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया। इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने उन्हें यह सुझाव दिया कि उनका जन्मदिन मनाने का सबसे अच्छा तरीका इस दिन को शिक्षकों को समर्पित करना है और इस तरह डॉ. राधाकृष्णन के एक विचार से भारत में शिक्षक दिवस की शुरुआत हुई।

टीचर्स डे का महत्व और थीम

यह दिन अपने शिक्षकों और उनके शिष्यों के बीच के संबंध को महत्व (Teachers Day 2024 significance) देता है। साथ यह एक मौका है अपने गुरुओं के प्रति अपना आभार और सम्मान व्यक्त करने का। यह दिन टीचर्स के समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रतीक है, जो हर बच्चे का भविष्य संवारता है। यह खास दिन हर साल एक स्पेशल थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। ऐसे में बात करें इस साल की थीम की, तो इस साल टीचर्स डे (Teachers Day 2024) के लिए थीम ‘शिक्षकों को सतत विकास के लिए सशक्त बनाना’ (Empowering Educators for a Sustainable) तय की गई है।

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