International Dance Day 2024: क्या है इस दिन को मनाने का मकसद और क्यों चुना गया 29 अप्रैल का ही दिन?
हर साल 29 अप्रैल का दिन दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day) के रूप में मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को तरह-तरह के डांस का महत्व और इसके फायदों के बारे में बताना है। यह दिन डांस के जादूगर कहे जाने वाला जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित है। आइए जानते हैं कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। International Dance Day 2024: नृत्य या डांस महज मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह भावनाओं के साथ, कला व संस्कृति को दर्शाने और सेहतमंद रहने का भी बेहतरीन जरिया है। हर साल 29 अप्रैल का दिन दुनियाभर में 'अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस' के रूप में मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को नृत्य का महत्व बताना है। साथ ही इसके जरिए दुनियाभर के डांसर्स को प्रोत्साहित भी करना है। इस दिन विभिन्न नृत्य संबंधित कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। कथक, भरतनाट्यम, हिप हॉप, बैले, साल्सा, लावणी जैसे कई डांस फॉर्म हैं, जो दुनियाभर में लोकप्रिय हैं।
कैसे हुई थी अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने की शुरुआत?
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) की अंतरराष्ट्रीय नृत्य समिति की ओर से की गई थी। आईटीआई एक गैर-सरकारी संगठन है, जो संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) का हिस्सा है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस, नृत्य के जादूगर जीन जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित है। बता दें कि जॉर्जेस नोवेरे एक मशहूर बैले मास्टर थे, जिन्हें फादर ऑफ बैले के नाम से भी जाना जाता है। 29 अप्रैल 1727 को ही जॉर्जेस नोवरे का जन्म हुआ था। साल 1982 में आईटीआई की नृत्य समिति ने जॉर्जेस नोवरे के जन्मदिन 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी। जिसके बाद से हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने नृत्य पर ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य से जुड़ी एक-एक चीज़ मौजूद हैं। कहते हैं इसे पढ़कर कोई भी नृत्य करना सीख सकता है।
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का मकसद ना केवल दुनिया के सभी डांसर्स का प्रोत्साहन बढ़ाना है, बल्कि लोगों को डांस से होने वाले फायदों के बारे में भी बताना है। नृत्य कला के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे समृद्धि और एकता का वातावरण बनता है।ये भी पढ़ेंः- प्राचीन नृत्य शैली भरतनाट्यम के बारे में कितना जानते हैं आप?Pic credit- freepik