International Day of Sign Languages 2024: हर साल क्यों और कब मनाया जाता है यह दिन और क्या है इस साल की थीम
अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day of Sign Languages 2024) बधिर समुदाय की बात को समझने और उनके अधिकारों का सम्मान करने का एक अवसर प्रदान करता है। हर साल 23 सितंबर को ये दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है International Day of Sign Languages कैसे हुई थी इसे मनाने की शुरुआत और क्या है इस साल की थीम।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। International Day of Sign Languages 2024: हर भाषा की अपनी खूबसूरती होती है। भारत की बात करें तो हर थोड़ी दूरी पर भाषा में कुछ न कुछ बदलाव आ जाता है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है। यह तो हो गई बोलचाल की भाषा, लेकिन जो बधिर हैं, उनकी भी एक खास भाषा होती है, जिसे हम सांकेतिक भाषा यानी Sign Language कहते हैं।
हर साल 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day of Sign Languages) मनाया जाता है। यह एक खास दिन है, जब दुनिया भर में सांकेतिक भाषाओं के महत्व और बधिर लोगों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है। 2017 में विश्व बधिर महासंघ (World Federation for the Deaf) ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। इस दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि क्यों इस दिन को मनाना जरूरी है और क्या है इस साल की थीम।
इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेजेस का महत्व
जैसे हर भाषा की अपनी व्याकरण होती है, अपनी शब्दावली होती है, उसी तरह सांकेतिक भाषाओं की भी अपनी व्याकरण और नियम होते हैं। जैसे बोलचाल की भाषा हर देश में अलग होती है, वैसे ही हर देश में एक ही बात को समझाने के लिए अलग साइन का इस्तेमाल किया जाता है।विश्व बधिर महासंघ के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 7 करोड़ लोग बधिर हैं। इसलिए इनके लिए सांकेतिक भाषा बेहद जरूरी है, ताकि वो अपनी बात दूसरों को समझा पाएं और लोगों की बात को समझ पाएं। यह भाषा बधिर लोगों के सामाजिक समावेश और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। इसलिए International Day of Sign Languages मनाना लोगों को इन भाषाओं के महत्व के बारे में जागरुक करने के लिए बेहद जरूरी है।
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सांकेतिक भाषाओं की विविधता
दुनिया भर में सैकड़ों अलग-अलग सांकेतिक भाषाएं मौजूद हैं, जिनमें अमेरिकी सांकेतिक भाषा (ASL), ब्रिटिश सांकेतिक भाषा (BSL), भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) और कई अन्य शामिल हैं। हर सांकेतिक भाषा का अपना इतिहास, संस्कृति और खासियत होती है।
क्या है इस साल की थीम?
अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस इस साल ‘Sign up for Sign Language Rights’ की थीम के साथ मनाया जा रहा है।अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का उद्देश्य
- सांकेतिक भाषाओं के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- बधिर समुदाय के अधिकारों को बढ़ावा देना।
- सांकेतिक भाषाओं के शिक्षा और इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना।
- बधिर लोगों के सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना।