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International Tiger Day 2024: बाघों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है इस दिन को मनाने का मकसद

जुलाई की 29 तारीख का दिन दुनियाभर में International Tiger Day 2024 के रूप में मनाया जाता है। जिसका मकसद लोगों को टाइगर के महत्व और उसके संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु भी है। बाघ पारिस्थितिकि तंत्र में संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Mon, 29 Jul 2024 08:28 AM (IST)
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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास व महत्व (Pic credit- freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 29 जुलाई को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस यानी International Tiger Day मनाया जाता है। बाघों की घटती संख्या के कारणों को जानने के साथ ही उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से मनाया जाता है यह दिन। बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने और उसकी विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर बाघ नहीं बचेंगे, तो इससे पूरा पारिस्थितिक तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। इसलिए इसका महत्व समझना जरूरी है।

कैसे हुई थी अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत?

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। रूस के पीटर्सबर्ग में एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। इस क्रांफेंस में दुनियाभर के लगभग 13 देशों ने हिस्सा लिया था। बाघ दिवस मनाने का फैसला लेते हुए इन सभी देशों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था।

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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का उद्देश्य (International Tiger Day Significance)

इतने बड़े स्तर पर बाघ दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को बाघों के संरक्षण के प्रति तो जागरूक करना ही है, साथ ही उनके आवास की रक्षा और उन्हें कैसे बढ़ाया जाए, इस पर भी प्रकाश डालना है। पर्यावरण को होने वाले नुकसान, जलवायु परिवर्तन के अलावा अवैध शिकार जैसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से आज बाघों की संख्या लगातार कम हो रही है।  

भारत में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत

भारत सरकार ने साल 1973 में बाघों को संरक्षण प्रदान करने के मकसद से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी। इस प्रोजेक्ट के तहत कई सारे टाइगर रिजर्व स्थापित किए गए। कई तरह की नीतियां बनाई गईं, जिससे बाघों का शिकार रोका जा सके, उनकी संख्या बढ़ाने पर काम किया जा सके। जिसकी बदौलत अभी भारत में कुल 54 टाइगर रिजर्व हैं और यहां बाघों की संख्या बढ़ ही रही है, कम नहीं हो रही।

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