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Women's Day 2024: क्या है महिला दिवस का पर्पल कलर से कनेक्शन?

दुनियाभर में 8 मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। महिला अधिकार कार्यकर्ता रहीं क्लारा जेटकिन ने 1910 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत की थी। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया डेनमार्क जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया था। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहचान पर्पल कलर से होती है क्या है इस रंग का इस दिन से कनेक्शन जानेंगे आज।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Tue, 05 Mar 2024 12:22 PM (IST)
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अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस और बैंगनी रंग का कनेक्शन
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लड़कियों सेे जुड़ी किसी चीज़ को बताने के लिए पिंक, तो लड़कों के लिए ब्लू कलर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे समाज से सहजता से स्वीकार भी किया हुआ है, लेकिन हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में सेलिब्रेट किए जाने वाले इंटरनेशनल वुमन्स डे पर खासतौर से पर्पल कलर पहना जाता है, जानते हैं क्यों? और सिर्फ पर्पल ही नहीं, दो और रंगों भी इसमें शामिल हैं। जानेंगे इसकेे बारे में।

बैंगनी रंग का मतलब 

दरअसल बैंगनी रंग न्याय और गरिमा का प्रतीक है। महिला दिवस पर बैंगनी रंग पहनना दुनियाभर की महिलाओं के साथ एकजुटता का भाव दर्शाता है। 

आशाओं से भरा हरा रंग

इस खास दिन को मनाने से जुड़ा हरा रंग पॉजिटिविटी और उम्मीद की पहचान है। हरे रंग को खुशहाली से भी जोड़कर देखा जाता है। हरा रंग हीलिंग से भी जुड़ा हुआ है। हरा समानता और संबल को भी दर्शाने वाला रंग है। महिला दिवस के अभियान से जुड़ा हरा रंग अससल में महिलाओं के ऊर्जावान व्यक्तित्व से भी जुड़ा हुआ है।

शुद्धता और शांति को दर्शाता सफेद रंग

सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। सफेद रंग को सफल शुरुआत का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। साथ ही यह रंग सुकून और दृढ़ता को भी दर्शाता है। दुनियाभर में शांति और सहजता बनाए रखने में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम मानी जाती है, इस वजह से ये रंग भी इस उत्सव का खास हिस्सा है।  

किसने की थी इसकी शुरुआत?

महिला अधिकार कार्यकर्ता रहीं क्लारा जेटकिन ने 1910 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उन्‍होंने इसका सुझाव दिया था। कोपेनहेगेन में हुए सम्मेलन में 17 देशों से 100 महिलाएं शामिल हुई थीं और उन्होंने क्लारा जेटकिन के इस सुझाव पर अपनी सहमति दी थी। जिसके बाद साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था।

इस दिन को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और कई दूसरे क्षेत्रों में अपना अहम योगदान देने वाले महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।

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Pic credit- freepik

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