National Handloom Day 2024: रोजगार व लघु उद्योगों को बढ़ावा देना है 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' मनाने का खास उद्देश्य
हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिस मनाया जाता है। जिसका मकसद लघु उद्योगों को बढ़ावा देना और रोजगार के अवसर प्रदान करना है। साल 2015 में पहली बार चेन्नई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा National Handloom Day मनाया गया था। हथकरघा एक ऐसा करघा है जिसका इस्तेमाल बिना किसी बिजली के कपड़ा बुनने के लिए किया जाता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाली तीज के अलावा आज भारत में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day 2024) भी मनाया जा रहा है। कृषि के बाद हथकरघा भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण क्षेत्र है। हथकरघा कारीगर कपास, रेशम और ऊन द्वारा खूबसूरत साड़ियां और दूसरी चीजें तैयार करते हैं। भारत में हथकरघा आजीविका का प्रमुख स्त्रोत है। यह दिन हथकरघा समुदाय और आर्थिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
हैंडलूम का इतिहास
7 अगस्त को ‘स्वदेशी’ आंदोलन की याद में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत साल 1905 में हुई थी। इसका मकसद विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार था। इस आंदोलन के चलते भारत के लगभग हर घर में खादी बनाने की शुरुआत हुई थी। हथकरघा उद्योग आज से नहीं, बल्कि काफी वक्त से हाथ के कारीगरों को रोजगार प्रदान करते आया है, लेकिन फिर भी इन कारीगरों की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। 7 अगस्त, 2015 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था। तब से हर साल इस दिन को मनाया जा रहा है। 7 अगस्त 2024 को 10वां हैंडलूम-डे मनाया जा रहा है।
क्यों मनाया जाता है हथकरघा दिवस?
कृषि के बाद हथकरघा क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है। देश के सामाजिक- आर्थिक विकास में हथकरघा के योगदान को बताने के मकसद से यह दिन मनाया जाता है। साथ ही भारतीय बुनकरों और कर्मचारियों द्वारा बनाए गए सामानों को सराहना भी इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है।ये भी पढ़ेंः- Kanjivaram Silk Saree की बुनाई में होता है सोने-चांदी के तार का इस्तेमाल, दक्षिण भारत से मिली थी खास पहचान