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National Science Day 2023: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर जानें सर सीवी रमन के जीवन के कुछ रोचक तथ्य

National Science Day 2023 सीवी रमन के सम्मान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। इस खास दिन पर जानें सर सीवी रमन के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में ।

By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Tue, 28 Feb 2023 11:06 AM (IST)
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National Science Day 2023: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर जानें सर सीवी रमन के जीवन के कुछ रोचक तथ्य
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। National Science Day 2023: देशभर में आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 मनाया जा रहा है। भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन ने रमन इफेक्ट की अपनी महत्वपूर्ण खोज के बाद 1928 में नोबेल पुरस्कार जीता था। उनके निष्कर्षों ने विज्ञान के क्षेत्र में हमेशा के लिए क्रांति लाने का काम किया। जिस दिन उन्होंने खोज की थी, उस दिन को देश सीवी रमन के सम्मान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। इस दिन को युवाओं में विज्ञान और इसके विभिन्न पहलुओं में प्रति रुचि विकसित करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक मंच देने के रूप में कार्य करता है। इस खास मौके पर चलिए जानते हैं सर सीवी रमन के जीवन के रोचक तथ्यों के बारे में-

सर सीवी रमन के जीवन के बारे में रोचक तथ्य

-अपनी जीत के साथ, सीवी रमन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई और गैर-कोकेशियान व्यक्ति बने।

-सीवी रमन के घर का नाम पंचवटी था, जिसे उनकी पत्नी लोकसुंदरी अम्मल ने रखा था। उन्हें यह सुझाव उस आश्रम के नाम पर आया जहां राम और सीता वनवास के दौरान रह रहे थे।

-सीवी रमन के पिता गणित और भौतिकी के लेक्चरर थे। बचपन से ही पढ़ने लिखने के माहौल ने यह सुनिश्चित किया कि वह कम उम्र से ही अकादमिक में आगे बढ़ें।

-माना जाता है कि रमन ने एक बार प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ मजाक किया था। उन्होंने यूवी प्रकाश किरणों का उपयोग करके पीएम को यह विश्वास दिलाया कि तांबा सोना है।

-प्रकाश में अपनी विशेषज्ञता के अलावा, सीवी रमन ध्वनिकी उपकरण में भी तल्लीन थे, वो तबला और मृदंगम जैसे भारतीय ड्रमों के हार्मोनिक गुणों का पता लगाने वाले पहले व्यक्ति बने।

-एटोमिक न्यूक्लियस और प्रोटॉन के खोजकर्ता डॉ अर्नेस्ट रदरफोर्ड, ने रॉयल सोसाइटी में अपने 1929 के अध्यक्षीय भाषण में रमन की स्पेक्ट्रोस्कोपी की प्रशंसा की, जिसने बाद में रमन को उनके योगदान के लिए नाइटहुड से सम्मानित किया।

-1933 में, सीवी रमन ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS) के पहले भारतीय निदेशक के रूप में इतिहास रचा, जब सभी IIS निदेशक ब्रिटिश थे।

-एक बार रमन से उनके क्रांतिकारी ऑप्टिकल थ्योरी की प्रेरणा के बारे में पूछा गया, जिसपर उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि 1921 में जब वे यूरोप जा रहे थे तब उन्होंने "भूमध्य सागर के अद्भुत नीले रंग के ओपलेसेंस" देखा था जिससे उन्हें प्रेरणा मिली।

-नोबेल पुरस्कार विजेता सरकार की भागीदारी के प्रति अविश्वास रखते थे। क्योंकि उन्हें संस्थान की गतिविधियों पर नियमित रूप से अपडेट जमा करने की आवश्यकता होती थी। उन्होंने "नो-स्ट्रिंग्स-अटैच्ड" विज्ञान में दृढ़ विश्वास किया और संस्थान की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए सरकारी धन को लेने से इनकार कर दिया था।

-जिस एक्सपेरिमेंट के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उसमें रमन ने केएस कृष्णन के साथ काम किया। हालांकि, कुछ पेशेवर मतभेदों के कारण कृष्णन ने रमन के साथ नोबेल पुरस्कार साझा नहीं किया। इसके बावजूद, अपने नोबेल स्वीकृति के दौरान भाषण में, वैज्ञानिक ने कृष्णन के योगदान पर जोर दिया था।

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