Move to Jagran APP

Ram Navami 2023: भगवान राम के जीवन से सीखी जा सकती हैं ये 5 बातें

Ram Navami 2023 आज यानी 30 मार्च को राम नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। राम नवमी भगवान राम का जन्मोत्सव है। नर से नारायण कैसे बना जाए यह उनके जीवन से सीखा जा सकता है। तो आज उनकी जिंदगी के ऐसी ही कुछ बातों के बारे में जानेंगे।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Thu, 30 Mar 2023 04:29 PM (IST)
Hero Image
Ram Navami 2023: भगवान राम से सीखें जिंदगी की ये बातें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Ram Navami 2023: एक आम आदमी बनकर जीवनयापन करने के लिए जो तत्व आदर्श नियम और धारणा जरूरी होती है उनके सामंजस्य का नाम श्रीराम है। एक गाय की तरह सरल और आदर्श लेकर जिंदगी गुजारना यानी श्रीराम होना है। नर से नारायण कैसे बना जाए यह उनके जीवन से सीखा जा सकता है। एक तरफ उनका आदर्श हमारे मन को जीवन की ऊंचाइयों पर पहुंचाता है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी नैतिकता मानव मन को सकारात्मक ऊर्जा देती है। उनका हर एक कार्य हमारे विवेक को जगाता है और हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता है।

दयालु स्वभाव

शास्त्रों के अनुसार भगवान राम काफी दयालु स्वभाव के हैं। उन्होंने दया कर सभी को अपनी छत्रछाया में लिया। उन्होंने सभी को आगे बढ़कर नेतृत्व करने का अधिकार दिया। सुग्रीव को राज्य दिलाना। उनके दयालु स्वभाव का ही प्रतीक है। वही उन्होंने शरबी के जूठे बेर खाकर उसके प्रेम भाव का मान रखा।

सहनशीलता

यह भगवान राम का विशेष गुण है। कैकेयी की आज्ञा से वन में 14 वर्ष बिताना। समुद्र में सेतु बनाने के लिए तपस्या करना। सीता को त्यागने के बाद राजा होते हुए भी संयासी रहते हुए जीवन बिताना। यह बताता है कि भगवान राम कितने सहनशील और धैर्यवान पुरुष रहे।

मित्रता

हर जाति, हर वर्ग के व्यक्तियों के साथ भगवान राम ने मित्रता की। हर रिश्ते को श्री राम ने दिल से निभाया। केवट हो या सुग्रीव या विभीषण सभी मित्रों के लिए उन्होंने स्वयं कई बार संकट झेले।

बेहतर नेतृत्व क्षमता

भगवान श्री राम एक कुशल प्रबंधक थे। वे सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। भगवान राम के बेहतर नेतृत्व क्षमता की वजह से ही वानरों के द्वारा लंका जाने के लिए पत्थरों का सेतु बन पाया।

भाई के प्रति प्रेम

भगवान राम ने अपने सभी भाइयों के प्रति सगे बढकर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। इसी कारण से भगवान राम के वनवास जाते समय लक्ष्मण जी भी उनके साथ वन गए। यही नहीं भरत ने क्षी राम की अनुपस्थिति में राजपाट मिलने के बावजूद भगवान राम के मूल्यों को ध्यान में रखकर सिंहासन पर रामजी की चरण पादुका रख जनता की सेवा का।

Pic credit- freepik