Republic Day 2024 पर दिखीं देश को अनंत सूत्र में बांधती साड़ियों की झलक, कर्तव्य पथ पर छाई नारी शक्ति
भारत गणतंत्र दिवस के मौके पर अपनी समृद्ध संस्कृति और विविधता को प्रदर्शित करता है। इस साल भी अपने कल्चर को दिखाने के लिए अलग-अलग राज्यों की मशहूर कारीगरी से बनी साड़ियों का कर्तव्य पथ पर सीटिंग एरिया के बैकड्रॉप की तरह इस्तेमाल किया गया है। जानें क्या है इस इंस्टॉलेशन का महत्व और किन राज्यों की कारीगरी को दिखाया गया है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Republic Day 2024: गणतंत्र दिवस हमारे देश के स्वर्णीम इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन, 1950 में भारत ने अपने संविधान को लागू किया और एक गणतंत्र देश के रूप में उभर कर आया। अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियां तोड़कर, भारत आज अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, जो अपने आप में एक विजय गाथा है। इस दिन कर्तव्य पथ पर सैन्य बल परेड और तरह-तरह के करतब से अपने शैर्य का परिचय देते हैं।
राष्ट्रपति द्वारा ध्वाजारोहण और जन-गण-मन की गूंज में वीरता, बलिदान और शांति का प्रतिक, लहराता तिरंगा लोगों को देश भक्ति की भावना से भर देता है। वैसे तो, हर साल गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में कुछ खास दिखाया जाता है, लेकिन इस साल परेड में महिलाओं के योगदान पर खास फोकस किया गया। इस साल की परेड में महिलाएं अगुवाई करती नजर आईं। तीनों सैन्य बलों की एक महिला टुकड़ी ने परेड मार्च किया और लगभग 1500 से अधिक महिलाएं वंदे भारतम् नृत्य उत्सव में जनजातीय नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, और बॉलिवुड डांस प्रसतुत करती नजर आईं।
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किन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की साड़ियों की झलक दिखाई गई?
इस साल परेड की एक खास बात और है, जिसे देश की उन्नति में महीलाओं के योगदान और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए शामिल किया गया है। भारत की संस्कृति की पहचान देते हुए, इस साल कर्तव्य पथ पर अनंत सूत्र प्रस्तुत किया जाएगा। अनंत सूत्र का मतलब होता है कभी न खत्म होने वाला धागा। इसी भावना के साथ, संस्कृति मंत्रालय ने कर्तव्य पथ पर दर्शकों के पीछे, अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संस्कृति दर्शाती, वहां की मशहूर कारीगरी से बनाई गई साड़ियों को प्रदर्शित किया है। साड़ियों की इस प्रदर्शनी में बिहार के भागपुर सिल्क, उत्तर प्रदेश की बनारसी, असम की मुगा, गुजरात की पटोला, महाराष्ट्र की पैठनी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, राजस्थान की लहरिया, तमिल नाडु की कांचीवरम, पंजाब की फुलकारी, जम्मू-कश्मीर की कशीदा, हिमाचल प्रदेश की कुलुवी पट्टू, पश्चिम बंगाल की तांत, छत्तीसगढ़ की कोसा, तेलंगाना की पोचमपल्ली, केरल का कासावु, कर्नाटक का मैसूर सिल्क, मणिपुर की मोइरंग फी और ओडिशा की बोमकई साड़ियां शामिल हैं।
कितनी साड़ियां की गई प्रदर्शित?
अनंत सूत्र, भारतीय साड़ियों के समृद्ध इतिहास को सम्मानित करता है, जो फैशन जगत के लिए एक ऐसा उपहार है, जो चीर काल तक रहने वाला है। इस इंस्टॉलेशन में भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1900 साड़ियों को प्रदर्शित किया गया, जिनमें 150 सौ साल पुरानी साड़ी भी शामिल है। इन साड़ियों पर क्यूआर कोड लगाया गया है, जिसे स्कैन कर, इनकी बुनाई कला के बारे में सारी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं।
संस्कृति मंत्रालय की तरफ से महिला सशक्तिकरण और कारीगरों के श्रम को सम्मानित करने की एक पहल है, जिन्होंने सालों साल इन अनोखी कारिगरियों को जीवित रखा और भारत की संस्कृति को समृद्ध बनाने में अपना योगदान दिया है।
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