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Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा के दिन खीर की तुलना क्यों होती है अमृत से, जानिए इससे होने वाले लाभ

Sharad Purnima 2023 हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। कई जगहों पर इसे कौमुदी व्रत या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा-पाठ करने से घर में सुख शांति और समृद्धि होती है। इस दिन चावल की खीर बनाने की भी परंपरा है। तो आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाई जाती है।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Sat, 28 Oct 2023 11:33 AM (IST)
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Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा पर खीर का क्या है महत्व
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Sharad Purnima 2023: हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन चंद्र देव धरती के सबसे निकट होते हैं। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस बार शरद पूर्णिमा आज यानी 28 अक्टूबर को है। इसी दिन साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लगने वाला है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा भगवान कृष्ण को भी समर्पित है। इस दिन भक्त नदी में स्नान करते हैं, परिवार की सुख और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन कई श्रद्धालु उपवास भी रखते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन चावल की खीर बनाने की परंपरा है। इस दिन खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और अगले दिन लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। तो आइए जानते हैं, शरद पूर्णिमा पर चावल की खीर क्यों बनाई जाती है।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा सर्दियों की शुरुआत माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात बहुत ही खूबसूरत होती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में अमृत की वर्षा होती है, इसलिए लोग रात में चावल की खीर बर्तन में रखकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं और अगली सुबह स्नान कर इसे खाते हैं। यह भी मान्यता है कि इस खीर को चांदी के बर्तन में रखना चाहिए।

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, यह खीर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में मौजूद गुण मानव शरीर को पोषण देते हैं।

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