World Day Against Child Labour 2024: कब और कैसे हुई थी विश्व बाल श्रम निषेध दिवस को मनाने की शुरुआत?
दुनियाभर में हर साल 12 जून का दिन विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) के तौर पर मनाया जाता है। इसका मकसद बचपन में पढ़ाई-लिखाई से दूर होकर बाल मजदूरी में लगे बच्चों को रोकना है। आइए जानते हैं कैसे और कब हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत और क्या है इस साल की थीम।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Day Against Child Labour: हर साल 12 जून को दुनियाभर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। पहली बार इसका प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की ओर से किया गया था, जिसका मकसद था- 'बाल श्रम को रोकना'। इसके लिए कई सरकार से लेकर कई संगठन अपने-अपने स्तर पर कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन बिना जागरूकता के यह संभव नहीं है।
एक शोध के मुताबिक, विश्व स्तर पर हर दस में से एक बच्चा काम करने के लिए मजबूर है। साल 2000 के बाद से इसकी कुल संख्या में कमी तो आई है, लेकिन पिछले साल में इस कमी की गति भी दो-तिहाई धीमी हो गई है। आइए जानते हैं कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत, क्या है इसका महत्व और इस साल की थीम।
क्यों मनाया जाता है विश्व बाल श्रम निषेध दिवस?
विश्वभर में हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद है बच्चों को मजदूरी से हटाकर शिक्षा के लिए प्रेरित करना। जाहिर तौर पर इसके पीछे गरीबी सबसे बड़ी वजह है जिसके चलते बच्चों को कम उम्र में ही काम में लगाया जाता है, जो कि उनके विकास में सबसे बड़ी बाधा डालता है। ऐसे में, इसी बचपन को बचाने के लिहाज से इस दिन को मनाया जाता है।
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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) की ओर से साल 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस की स्थापना की गई थी। बता दें, अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने विश्व में श्रम की स्थितियों में सुधार के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया है। साथ ही, यह काम के घंटे, मजदूरी, अनुकूल वातावरण इत्यादि मामलों पर भी समय-समय पर जरूरी गाइडलाइन्स देता रहता है।