World Environment Day 2023: पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं आपकी ये आदतें
World Environment Day 2023 हर साल जून की 5 तारीख का दिन विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जिसका मकसद पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखा जाए इसके बारे में बताना होता है। तो इसके लिए जरूरी है आदतों में ये बदलाव।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sat, 03 Jun 2023 11:14 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Environment Day 2023: आज के समय में सबसे ज्यादा होड़ लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा चीज़ें हासिल करने की मची हुई है और इसे बढ़ावा देने के काम कर रहे हैं विज्ञापन। फूड, कपड़े, गैजेट्स आदि पर ज्यादातर वक्त ऑफर चलते रहता है। इसके चलते लोग उन चीज़ों को भी खरीद लेते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती। संयुक्त राष्ट्र संघ की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट-2021 के मुताबिक देश में एक व्यक्ति हर साल 50 किलोग्राम खाना बर्बाद करता है। इसमें 61% खाना घरों में बर्बाद होता है। शादियों में देख सकते हैं कि लोग ज्यादा खाना लेकर प्लेट में छोड़ देते हैं।
दुनियाभर में पर्यावरण का तेजी से नुकसान हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार, इसी रफ्तार से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन होता रहा, तो 2050 तक पृथ्वी पर रहना तक मुश्किल हो जाएगा। तो बहुत ही जरूरी है पर्यावरण संरक्षण के बारे में सोचना और जरूरी प्रयास करना। तो आप अपनी कुछ आदतों में बदलावों से काफी हद तक कर सकते हैं पर्यावरण को बचाने में योगदान।
देखा-देखी न करें
आजकल देखा-देखी से बिना जरूरत की चीज़ें खरीदने का चलन बढ़ा है। दिखावे के कपड़ा, गैजेट्स यहां तक की कार और घर भी लोग खरीद लेते हैं। सेल्फी और इंस्टा के लिए ऐसे फूड्स खरीद लेते हैं और उन्हें फोटो के बाद छोड़ दिया जाता है, जो देखने में अच्छे होते हैं, लेकिन स्वाद नहीं आता है। छोटा परिवार है, लेकिन बड़ी गाड़ियां खरीद लेते हैं। इसकी कीमत प्रकृति को चुकानी पड़ती है। एक तरफ डीजल-पेट्रोल का दोहन और दूसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है।रिसाइकिल का इस्तेमाल बढ़ाएं
दुनियाभर में हर एक मिनट में 10 लाख से ज्यादा प्लास्टिक की बोतलें बनती है और इनमें 10% भी रिसाइकिल नहीं हो पाती है। रिसाइकिल ऐसा शब्द है, जो बहुत ही चीज़ों को बेकार होने से बचाकर न केवल पैसे की बचत कराता है, बल्कि कूड़ा भी कम होता है। जैसे- एक जींस पुरानी या थोड़ी फटी है तो बेकार नहीं है। इसका बैग, शॉर्ट्स आदि जरूरत की चीज़ों के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसको फेकने से कूड़ा होगा। ऐसे ही सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य चीज़ें भी हैं। सोच के तरीकों को बदलने होंगे। हमें किसी चीज़ को खारिज करने की जगह उसकी अन्य उपयोगिता को ध्यान में रखना होगा।
सही मूल्य समझना असली जागरूकता
जब कोई वस्तु खरीदते हैं, जैसे कि एक जींस या एक किग्रा चावल-दाल आदि तो हम उसे आर्थिक मूल्य के आधार पर लेते हैं। यह किसी वस्तु का सही मूल्य नहीं है। जैसे एक जींस की कीमत भले ही 500-1000 रुपए है लेकिन हमें यह भी जानना चाहिए कि एक जींस को बनाने में करीब 3000 लीटर पानी बर्बाद होता है। बहुत तरह के रसायन भी उपयोग किए जाते हैं। बहुत लोग बिना फटे ही जींस को बेकार समझकर फेंक देते हैं। वहीं एक किग्रा चावल तैयार होने में 4-5 हजार लीटर पानी का उपयोग होता है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार भारत 121 देशों की सूची में 107वें नंबर पर है। 16% लोग भूखमरी की कैटेगरी में हैं।बच्चों को ऐसे सिखाएं पर्यावरण बचाने का संदेश
- जब भी समय मिले या फिर सप्ताह में एक बार बच्चों के साथ घर या आसापास पौधे लगाएं। उससे पौधों में खाद-पानी डलवाएं। उनका महत्व बताएं। वे पर्यावरण प्रेमी बनेंगे।- स्कूलों-घरों में रिसाइकल से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर फोकस होना चाहिए। पढ़ाई में भी इसे शामिल करें। क्रॉफ्ट के लिए नए पेपर की जगह अखबार दें। नई चीज़ें बार-बार खरीदने की जगह उनमें क्रिएटिव बदलाव करें।
- पानी के महत्व को उदाहरणों से समझाएं। पानी के नल बंद करना, शावर में कम नहाना, ब्रश करते समय नल खोलकर न रखना और बोतल में बचे पानी को पौधों में डालना सिखाएं।- शेयरिंग की आदत बनाएं जिससे बच्चे हर बार नई चीज की डिमांड नहीं करें। पुराने कपड़े और खिलौने जरूरतमंदों को दिलवा सकते हैं।- किसी दिन खुद से घर में नो प्लास्टिक यूज डे भी मनाएं। उसी दिन घर से झोला या स्टील की बोतल आदि का ही प्रयोग करें। इससे भी जागरूकता आएगी। हां, अच्छा करने पर बच्चों की तारीफ करना न भूलें।
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