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इस थीम के साथ मनाया जा रहा है इस साल World Population Day, कुछ ऐसे हुई थी इसकी शुरुआत

हर साल 11 जुलाई का दिन दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की पहल डॉक्टर केसी जैक्रियाह ने की थी। जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके खतरों के बारे में जागरूक करना है। इस साल विश्व जनसंख्या दिवस को किसी को पीछे न छोड़ना सभी की गिनती करना थीम के साथ सेलिब्रेट किया जा रहा है।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Thu, 11 Jul 2024 08:16 AM (IST)
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विश्व जनसंख्या दिवस इतिहास व महत्व (Pic credit- freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Population Day यानी विश्व जनसंख्या दिवस हर साल पूरी दुनियाभर में 11 जुलाई को मनाया जाता है। लगातार बढ़ती जनसंख्या कुछ मायनों में फायदेमंद है, तो कुछ में नुकसानदायक। लोगों को इन्हीं खतरों और फायदों के बारे में जागरूक करने के मकसद से यह दिन मनाया जाता है। इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों, संदेशों के जरिए लोगों का ध्यान बढ़ती जनसंख्या की ओर आकर्षित किया जाता है। आइए जानते हैं कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत और इस साल की थीम।

विश्व जनसंख्या दिवस की कैसे हुई थी शुरुआत?

साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिन को मनाए जाने के बारे में तब सोचा गया जब आज ही के दिन साल 1987 को विश्व की आबादी का आंकड़ा 5 अरब को पार कर गया था। इस दिन को मनाने का सुझाव डॉक्टर केसी जैक्रियाह (Dr KC Zachariah) ने दिया था। विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा की गई थी। पहला जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 1990 को मनाया गया था।

विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम

विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम है "किसी को पीछे न छोड़ना, सभी की गिनती करना"। ये थीम दुनिया में मौजूद लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जनसंख्या डेटा एकत्र करने के महत्व पर प्रकाश डालती है। 

साल 2023 में इसकी थीम थी- लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना

साल 2022 इसे 8 बिलियन की दुनिया थीम के साथ सेलिब्रेट किया गया था।

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य

हाल-फिलहाल दुनिया की जनसंख्या 8 अरब से भी ज्यादा है। यह दिन बढ़ती जनसंख्या के विकास और पर्यावरणीय मुद्दों पर प्रकाश डालता है। जनसंख्या बढ़ने से सकारात्मक कम नकारात्मक प्रभाव ज्यादा देखने को मिल रहे हैं, जिसके बारे में लोगों को बताने का प्रयास किया जाता है। इस दिन लैंगिक समानता, प्रजनन स्वास्थ्य और परिवार नियोजन के बारे में लोगों को शिक्षित किया जाता है।   

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