पढ़ें सोन पापड़ी की कहानी, कैसे पहुंची भारत और बन गई दीवाली की मनपसंद मिठाई!
दीवाली (Diwali 2024) का त्योहार इस बार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान कई तरह के पकवान और मिठाइयां बनाई जाती हैं। वहीं कुछ बाजार से भी लाई जाती हैं। सोन पापड़ी इन्हीं में से एक है जो फेस्टिव सीजन में हर किसी भी फेवरेट होती है। आइए जानते हैं इस पसंदीदा मिठाई का इतिहास।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीवाली का त्योहार कुछ ही दिनों में आने वाला है। लोग इस त्योहार की तैयारी में जुटे हुए हैं। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल दीपावली का यह पर्व 31 अक्टूबर को सेलिब्रेट किया जाएगा। यह साल का सबसे खुशनुमा समय होता है और खुशी की माहौल में मिठाइयों की मिठास न हो, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं। दीवाली के मौके पर कई तरह की मिठाइयों का स्वाद चखने को मिलता है, लेकिन इन सब में सेन पापड़ी सबसे ज्यादा मशहूर है।
दीवाली या अन्य मौकों पर गिफ्ट के तौर पर देने के लिए सोन पापड़ी लोगों की पहली पसंद होती है। यह खाने में भी काफी स्वादिष्ट होती है और इतनी सॉफ्ट होती है कि मुंह में रखते ही घुल जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आमतौर पर एक-घर से दूसरे घर पहुंचने वाली यह मिठाई आखिर कहां से आई। अगर नहीं तो आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे सोन पापड़ी का इतिहास-यह भी पढ़ें- दीपोत्सव के पांच दिनों में मिठास घोल देंगी 5 मिठाइयां, इन सिंपल रेसिपीज से करें तैयार
कहां से आई सोन पापड़ी?
दीवाली के मौके पर सोन पापड़ी सबसे ज्यादा नजर आती है। यही वजह है कि अक्सर फेस्टिव सीजन आते ही सोशल मीडिया पर इस मिठाई को लेकर कई तरह की मीम्स भी वायरल होने लगते हैं। साथ ही इसकी उत्पत्ति को लेकर कई तरह के दावे भी किए जाते हैं। कई लोगों का मानना है कि यह मिठाई राजस्थान की देन है, तो वहीं कुछ मानते हैं कि इसका इतिहास महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है। हालांकि, सोन पापड़ी के इतिहास को लेकर कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है। यह मिठाई को काफी हद तक तुर्की की एक खास मिठाई पिस्मानिये से काफी हद तक मिलती-जुलती है।
देश में सबसे पहले कहां बनी यह मिठाई?
हालांकि, तुर्की की इस मिठाई को बनाने के लिए बेसन की जगह आते का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, बात करें भारत की, तो ऐसा माना जाता है कि इस मिठाई को बनाने की शुरुआत महाराष्ट्र के पश्चिमी शहरों से की गई थी। सबसे पहले महाराष्ट्र के लोगों ने ही सोन पापड़ी को तैयार किया था और फिर पूरे राज्य में इसके स्वाद को पसंद किया जाने लगा। धीरे-धीरे महाराष्ट्र में तैयार हुई यह मिठाई गुजरात, पंजाब और राजस्थान जैसे देशों में भी बनाई जाने लगे और देखते ही देखते यह मिठाई लोगों के बीच के बीच मशहूर हो गई।कैसे बनती है सोन पापड़ी?
सोन पापड़ी को बनाने के लिए बेसन और मैदे का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इसमें चाशनी और पिस्ता का इस्तेमाल जाता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले बेसन और खरबूज के बीजों का मिश्रण इसे एक अलग स्वाद देता है। यूं तो यह मिठाई पूरे देश में मशहूर है, लेकिन उत्तर भारत में इसे बड़े शौक से खाया जाता है।