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सिर्फ चटनी ही नहीं, सलाद और सूप बनाकर भी खाते हैं चींटियां, जानें विदेशों में मिलने वाले इसके अजीबोगरीब व्यंजन

ओडिशा की लाल चींटी चटनी को हाल ही में जीआई टैग मिला है। यह चटनी छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी खाई जाती है। भारत के अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी लाल चींटियों से कई अजीबोगरीब व्यंजन बनाए जाते हैं। कहीं चींटियों की चटनी बनाई जाती है तो कहीं इसका सूप और सलाद बनाकर खाया जाता है। आइए जानते हैं दुनिया में मिलने वाले इसके अन्य व्यंजन-

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 29 Feb 2024 05:04 PM (IST)
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दुनियाभर में इन तरीकों से भी खाई जाती हैं चींटियां
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में जीआई टैग हासिल करने के बाद से ही एंट चटनी यानी चींटी की चटनी चर्चाओं में बनी हुई है। बीते महीने ही ओडिशा में खाई जाने वाली लाल चींटी की चटनी को जिओग्राफिक इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला है। यह चटनी ओडिशा के अलावा छत्तीसगढ़ और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी बड़े चाव से खाई जाती है। जैसाकि नाम से ही पता चलता है इस चटनी को बनाने के लिए प्राथमिक सामग्री के रूप में लाल चींटियों का इस्तेमाल किया जाता है।

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क्यों खाई जाती हैं चींटियां?

कीड़े खाने का विचार (जिसे एंटोमोफैगी कहा जाता है) कई लोगों के लिए असामान्य या नया होलग सकता है, लेकिन यह दुनिया के कई हिस्सों में एक आम बात है। चींटियां, इन्हीं में से एक है, जो विशेष रूप से प्रोटीन के स्रोत के रूप में काम करती हैं और फाइबर, विटामिन और कॉपर, जिंक, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे मिनरल भी प्रदान करती हैं।

ओडिशा की सिमिलिपाल काई चटनी

ओडिशा में बनाई जाने वाली चींटी की चटनी को सिमिलिपाल काई चटनी के नाम से जाना जाता है। इसे बनाने के लिए खासतौर लाल चींटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे हाल ही में जीआई टैग मिला है। इसे बनाने के लिए अदरक, लहसुन, धनिया पत्ती, इलायची, इमली और नमक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बनाने के लिए सबसे पहले चींटियों और उनके अंडों को सुखाया जाता है।

छत्तीसगढ़ में चपड़ा चटनी

वहीं, छत्तीसगढ़ में लाल चींटी की चटनी को चपड़ा चटनी कहा जाता है। यह पारंपरिक रूप से सिल बट्टा का उपयोग कर तैयार की जाती है और इसका स्वाद खट्टा होता है। इसे बनाने के लिए चींटियों को उनके अंडों के साथ अच्छी तरह से पीसकर विभिन्न प्रकार के स्थानीय मसालों खासकर गर्म मिर्च और नमक के साथ मिलाया जाता है।

हालांकि, इसे बनाने के लिए चींटियों को इकट्ठा करने का तरीका काफी मुश्किल और दर्दनाक होता है। चटनी बनाने के लिए चींटियों को इकट्ठा करने के दौरान नर चींटियां अंडे देने वाली मादा चींटियों की रक्षा करने के लिए कई बार हमला कर देते हैं और काट लेते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों में भी चींटियों का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। भारत में जहां इससे चटनी बनाई जाती हैं, तो वहीं अन्य देशों में इससे कई विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं। आइए जानते हैं विदेशों में किस तरह खाई जाती हैं चींटियां-

लाओस में चींटी के अंडे का सूप

लाओस में चींटी के अंडों का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों जैसे सलाद और सूप को बनाने के लिए किया जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी, लेकिन चींटी के अंडे का सूप लाओस के प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है। इसमें विभिन्न सब्जियों और जड़ी-बूटियों के साथ चींटी के अंडे मिलाए जाते हैं। थाईलैंड में भी इस व्यंजन को बड़े शौक से खाया जाता है। सूप के अलावा, लाओस में ऑमलेट और सलाद के लिए चींटी के अंडे का भी इस्तेमाल करते हैं।

थाईलैंड में चींटी का सलाद

थाईलैंड में भी चींटी को खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यहां चींटी के अंडे डिब्बे में बेचे जाते हैं। इतना ही नहीं इन्हें एक बेशकीमती मौसमी सामग्री माना जाता है। यहां चींटियों के अंडों को खाई मोट डेंग कहा जाता है, जिन्हें लाल चींटियों के घोंसलों से प्राप्त किया जाता है और इन्हें विभिन्न व्यंजनों में पकाया जाता है। यहां पर चींटी के अंडे आमतौर पर स्थानीय जड़ी-बूटियों और सब्जियों के साथ तले जाते हैं। अंडों के अलावा, खुद लाल चींटियों का उपयोग सोम टैम काई मॉड डेंग, एक मसालेदार कच्चे पपीते के सलाद जैसे व्यंजनों को बनाने के लिए भी किया जाता है।

कोलम्बिया में चींटियों का ब्रेकफास्ट

कोलंबिया में चींटियों को नाश्ते के रूप में खाया जाता है। यह कुछ-कुछ मूंगफली जैसा होता है। इन्हें या तो तला जाता है या भूना और फिर नमक डालकर खाया जाता है। इसे बनाने के लिए हेवी बॉटम लीफ कटर एंट या हॉर्मिगास कुलोनस का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें आमतौर पर मादा का उपयोग किया जाता है। ये चींटियां आम चींटियों की तुलना में बड़ी और भूरे या लाल रंग की होती हैं। सबसे पहले चींटियों के पंख, सिर और पैर को हटाया जाता है और फिर भूनकर तैयार किया जाता है।

ब्राजील में रोस्टेड चींटियां

ब्राजील में भी चींटियां खाई जाती हैं। रानी चींटियों को भूनकर खाने की परंपरा देश के कई हिस्सों में है। इसके लिए पहले चींटियों के पैर और पंख हटा दिए जाते हैं। फिर इन्हें नमकीन पानी में भिगोया जाता है और फिर मसालों के साथ भून लिया जाता है।

ऑस्ट्रेलिया में गार्निशिंग के लिए चींटियाँ

ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में, लोग हरी चींटियों को उनके खट्टे स्वाद के कारण व्यंजनों को गार्निश करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हनी पॉट चींटी ऑस्ट्रेलियाई स्वदेशी संस्कृतियों के बीच एक पारंपरिक फूड सोर्स भी है। चींटी का मोटा और मीठे रस से भरा हुआ पेट अपने आप में एक स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है या व्यंजनों में शामिल किया जाता है।

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Picture Courtesy: Freepik

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