दाल-भात से लेकर चाय तक, एक पापड़ बढ़ा देता है हर पकवान का स्वाद; 1500 साल पुराना है भारत में इसका इतिहास
भारतीय थाली का वह चटपटा साथी जिसके बिना खाने का स्वाद अधूरा सा लगता है! पापड़ सिर्फ एक क्रिस्पी स्नैक नहीं बल्कि देश की विविधता का प्रतीक है। देश के हर कोने में आपको अलग-अलग तरह के पापड़ (Papad In Indian Cuisine) मिलेंगे जो भारतीय संस्कृति की समृद्धि का जीता-जागता उदाहरण हैं। आइए पापड़ की इस रोचक दुनिया में एक सफर करें और इसके कुछ अनोखे पहलुओं को जानें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दाल-भात से लेकर चाय तक, पापड़ हर पकवान का स्वाद बढ़ा देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से, लेकिन स्वादिष्ट नाश्ते का इतिहास (History Of Papad) कितना पुराना है? बता दें, इसकी शुरुआत करीब 2500 साल पुरानी मानी जाती है। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, पापड़ का जन्म भारत में हुआ था। उस समय, लोग दालों को पीसकर और सुखाकर पतले-पतले टुकड़े बनाते थे। इन्हें ही बाद में तलकर पापड़ बनाया जाने लगा। आइए जानते हैं पापड़ के इतिहास के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
क्या आप जानते हैं पापड़ की कहानी?
क्या आप जानते हैं कि आप जो पापड़ आज खाते हैं, वह हजारों साल पुराना है? जी हां, पापड़ का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना है। बौद्ध-जैन धर्म के प्राचीन ग्रंथों में पापड़ का जिक्र मिलता है। खाद्य इतिहासकार केटी आचार्य ने अपनी पुस्तक 'ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड' में बताया है कि प्राचीन काल में लोग उड़द, मसूर और चना दाल से बने पापड़ खाते थे। क्या आपने कभी सोचा है कि ये पापड़ कैसे बनाए जाते थे? दरअसल, इन दालों को पीसकर मसालों के साथ मिलाया जाता है और फिर इसे सूखाकर पापड़ तैयार होते थे।यह भी पढ़ें- बेहद दिलचस्प थी मुगलों के खानपान की आदतें, कोई हिमालय से मंगाता था बर्फ तो किसी ने बना ली थी गोश्त से दूरी
प्राचीन भारत में पापड़
दिलचस्प बात है कि भारत में पापड़ का इतिहास 1500 साल पुराना है, जैसा कि ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है। जैन साहित्य में पापड़ का सबसे पहला उल्लेख मिलना भी कोई संयोग नहीं है। हिस्ट्रीवाली की फाउंडर शुभ्रा चटर्जी बताती हैं कि मारवाड़ के जैन समुदाय के लोग पापड़ को अपनी यात्राओं में इसलिए साथ ले जाते थे क्योंकि यह हल्का और स्वादिष्ट होने के साथ-साथ आसानी से ले जाया जा सकता था।