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मोदक के बिना अधूरा है Ganesh Chaturthi का त्योहार, जानें भगवान गणेश को क्यों प्रिय है यह मिठाई

7 सितंबर से देशभर में गणेशोत्सव की धूम मचने वाली है। Ganesh Chaturthi का त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व की अपनी अलग रौनक है। इस दौरान भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक ( Ganesh Chaturthi Modak) का भोग लगाया जाता है लेकिन क्या आपको पता कि मोदक गणेश जी को प्रिय क्यों है। अगर नहीं तो आइए जानते हैं।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 05 Sep 2024 05:39 PM (IST)
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इसलिए भगवान गणेश का प्रिय है मोदक

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हर्षोल्लास का यह पर्व 10 दिनों तक सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल यह त्योहार 7 सितंबर से शुरू होगा और 17 तारीख को खत्म होगा। लोग कई तरीकों से गणपति बप्पा के इस त्योहार को मनाते हैं, लेकिन उनके पसंदीदा भोग के बिना यह पर्व फीफा माना जाता है। भगवान गणेश को यूं तो कई मीठे व्यंजन पसंद हैं, लेकिन मोदक (Ganesh Chaturthi Modak) उनका सबसे प्रिय भोग है। यही वजह है कि गणेशोत्सव के दौरान उन्हें 'मोदक' जरूर अर्पित किया जाता है।

'मोदक' के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है और इसलिए लोग अलग-अलग प्रकार के मोदक का भोग भगवान को लगाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गणेश चतुर्थी और मोदक का क्या संबंध है और क्यों यह मिठाई बप्पा को इतनी प्रिय ( Lord Ganesha's Favorite Dessert) है। अगर नहीं, तो आइए इस आर्टिकल में बताते हैं गणपति बप्पा और मोदक का कनेक्शन-

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भगवान गणेश को क्यों प्रिय है मोदक?

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश जंगल में ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूया से घर गए थे। यहां पहुंचते ही भगवान शिव और गणेश को भूख लगने लगी, जिसके बाद उन्होंने सभी के लिए भोजन का प्रबंध किया है। खाना खाने के बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की भूख शांत हो गई, लेकिन गणपति बप्पा का पेट कुछ भी खाने से भर ही नहीं रहा था। बप्पा की भूख शांत कराने के लिए अनुसूया ने उन्हें सभी प्रकार के व्यंजन खिलाए, लेकिन उनकी भूख शांत ही नहीं हुई।

सभी व्यंजनों को खाने के बाद भी जब भगवान गणेश संतुष्ट नहीं हुए, तो अनुसूया ने सोचा कि कुछ मीठा उनका पेट भरने में मदद कर सकता है। बस फिर क्या था अपने इस विचार पर असल करते हुए उन्होंने गणेश जी को मिठाई का एक टुकड़ा दिया और उसे खाते ही गणपति बप्पा को डकार आ गई और उनकी भूख शांत हुई। गणेश जी भूख शांत होते ही भगवान शिव ने भी 21 बार डकार ली और इस तरह दोनों एक साथ संतुष्ट हुए।

मोदक और गणेश चतुर्थी का कनेक्शन

इस मिठाई के बारे में जब माता पार्वती ने देवी अनुसूया से पूछा, उन्होंने बताया कि वह मिठाई मोदक थी। इसके बाद से ही गणेश पूजन के दौरान मोदक चढ़ाने का चलन शुरू हुआ। देखते ही देखते यह प्रथा पृथ्वी पर लोकप्रिय हो गई और प्रत्येक गणेश चतुर्थी पर, गणपति को विभिन्न प्रकार के मोदक भोग के रूप में चढ़ाए जाने लगे। इस पौराणिक कथा से यह पता चलता है कि मोदक अनादि काल से ही प्रचलन में है। इतना ही नहीं धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में भी भगवान गणेश की तस्वीरों में वह मोदक और लड्डू साथ लिए नजर आते हैं।

मोदक एक, नाम अनेक

मोदक को अलग-अलग तरीकों से बनाने के साथ ही विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसे तमिल में कोझाकट्टई, कन्नड़ में मोधका या कडुबू और तेलुगु में कुदुमु के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, बात इसके प्रकारों की, तो वर्तमान में आप फ्राइड मोदक, केसर मोदक, मावा मोदक, चॉकलेट मोदक, फ्रूट मोदक आदि का भोग भगवान को लगा सकते हैं।

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