Ganesh Chaturthi 2025: मोदक ही नहीं, लड्डू भी हैं बप्पा के फेवरेट! यहां जानें इसके पीछे की रोचक कहानी
गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा है। ये त्योहार महाराष्ट्र और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है। 10 दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्योहार में भक्त गणेश जी को मोदक के साथ लड्डू भी अर्पित करते हैं। गणेश चतुर्थी में लड्डू का भोग शुभ माना जाता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का खास महत्व है। ये त्योहार महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश के कई राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर महाराष्ट्र में तो गणेश चतुर्थी की रौनक देखने लायक होती है। यहां पर लगभग सभी घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। साथ ही गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। साथ ही बप्पा को उनकी पसंद का भोग लगाया जाता है।
लोगों का मानना है कि भगवान गणेश जी को सिर्फ मोदक प्रिय है। साथ ही उन्हें भोग भी मोदक का ही लगता है। ये बात अपनी जगह बिल्कुल ठीक भी है। लेकिन आपको बता दें कि गणेश भगवान को मोदक के अलावा लड्डू भी बहुत प्रिय है। बप्पा को लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं। अब आप सोच रहे हाेंगे कि इसके पीछे की कहानी क्या है? तो आइए जानते हैं विस्तार से -
धूमधाम से मनाया जाता है त्योहार
आपको बता दें कि गणेश चतुर्थी भारत का सबसे प्रिय और धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। इसकी खासियत ये है कि यह धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर लोगों को जोड़ता है। 10 दिनों तक चलने वाला ये पर्व सिर्फ भगवान गणेश के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि ये लोगों को एकसाथ लाने का काम करता है। माना जाता है कि इन दिनों गणेश जी धरती पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
लड्डू भी बप्पा को है बेहद पसंद
मोदक के अलावा गणेश जी को लड्डू भी बहुत पसंद है। आपने अक्सर देखा होगा कि उनकी मूर्तियों और तस्वीरों में उनके हाथ में मोतीचूर के लड्डू दिखाई देते हैं। ये उनकी इस मिठाई के प्रति लगाव को दिखाते हैं। गणेश चतुर्थी पर नारियल लड्डू और तिल के लड्डू भी बड़ी श्रद्धा से भोग में अर्पित किए जाते हैं। साथ ही मोतीचूर के लड्डू भी अर्पित किए जाते हैं। मोदक की तरह ही लड्डू भी हर घर में आसानी से बनने वाली मिठाई है, जो भक्ति और प्रेम से भगवान को चढ़ाई जाती है।
क्यों लगाया जाता है लड्डू का भोग
भगवान गणेश को लड्डू क्यों पसंद है, इसके पीछे भी कुछ कहानियां हैं। बताया जाता है कि एक बार गणेश जी की भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी से लड़ाई हो गई थी। इस दौरान गणेश जी का दांत टूट गया था। उन्हें बहुत दर्द हो रहा था और वे कुछ खा भी नहीं पा रहे थे। तब माता पार्वती ने उन्हें लड्डू खिलाया। ये इतना नरम था कि मुंह में जाते ही घुल गया था। बस तभी से भगवान गजानन को मोतीचूर के लड्डू अर्पित किए जाने लगे।
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वहीं दूसरी कहानी ये भी है कि एक बार धन के देवता भगवान कुबेर ने अपने धन का प्रदर्शन करने के लिए गणेश जी को अपने घर पर आमंत्रित किया था। अब गणेश जी को दौलत का नहीं, बल्कि स्वादिष्ट भोजन का बड़ा शौक था। कुबेर के घर खाना कम पड़ गया लेकिन गणेश जी की भूख खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। खाना खत्म होने के बाद भगवान ने कुबेर की रसोई में रखा कच्चा खाना और सोने के बर्तन खाने शुरू कर दिए।
माता पार्वती ने की कुबेर की मदद
तभी संपत्ति खत्म हो जाने के डर से कुबेर भगवान शिव और माता पार्वती से मदद मांगने पहुंचे। तब माता ने कुबेर को लड्डू दिया और गणेश जी को खिलाने के लिए कहा। कुबेर अपने घर लौट आए और उन्होंने गणेश जी को लड्डू अर्पित किए। लड्डू खाने के बाद गणेश जी की भूख पूरी तरह से शांत हो गई। तभी से भगवान को लड्डू अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है।
कई तरह के बनाए जाते हैं लड्डू
आपको बता दें कि भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें लड्डुओं का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसलिए, गणेश चतुर्थी के लिए लड्डू जरूरी है। अब ताे भारत में कई तरह के लड्डू बनाए जाते हैं।
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