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Gulab Jamun History: इस ईरानी डिश की नकल करते हुए बना था गुलाब जामुन, जानें क्या है इसका दिलचस्प इतिहास

Gulab Jamun History मिठाई का जिक्र हो तो गुलाब जामुन का नाम सबसे पहले आता है। यह कई लोगों की पसंदीदा मिठाई है जिसे बच्चे से लेकर बड़े तक बेहद चाव से खाते हैं। शादी-पार्टी हो या बर्थडे गुलाब जामुन हर एक मौके पर खाने में चार चांद लगा देता है लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इस मिठाई की शुरुआत कैसे हुई। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sun, 29 Oct 2023 07:23 AM (IST)
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जानें कब और कैसे हुआ गुलाब जामुन का ईजाद
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Gulab Jamun History: विविधताओं का देश भारत पूरी दुनिया में अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए मशहूर है। यहां हर एक चीज में विविधता देखने को मिलती है। रहन-सहन, पहनावा और बोली यहां हर राज्य की अपनी अलग पहचान है। अपनी संस्कृति और परंपराओं के अलावा भारत अपने खानपान के लिए भी जाना जाता है। यहां कई ऐसे व्यंजन मौजूद हैं, जिनका स्वाद देश-विदेश से आए उन लोगों को काफी पसंद आता है। मीठा भारतीय भोजन का एक अहम हिस्सा है। अक्सर लोग खाने के बाद मीठा खाना पसंद करते हैं। यही वजह है कि हमारे यहां कई तरह की मिठाइयां काफी प्रचलित हैं।

जलेबी इमरती और बर्फी जैसी कई सारी मिठाईयां यहां लोग बड़े चाव से खाते हैं। गुलाब जामुन भी इन्हीं मिठाइयों में से एक है, जो कई लोगों को काफी पसंद होता है। फल और फूल के नाम से बनी इस मिठाई का स्वाद जितना बेहतरीन है. उतना ही दिलचस्प इसका इतिहास भी है। अगर आपके मन में भी अक्सर यह सवाल आता है कि गुलाब जामुन कब और कैसे बनाया गया, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको स्वादिष्ट मिठाई की इसी दिलचस्प इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।

ऐसे हुई गुलाब जामुन की शुरुआत

जैसा कि इतिहास के पन्नों में दर्ज है, भारत में मौजूद कई सारे व्यंजनों की शुरुआत का श्रेय मुगलों को जाता है। गुलाब जामुन के साथ भी ऐसा ही कुछ है। दरअसल, मुगल शासक शाहजहां के शेफ ने गुलाब जामुन का ईजाद किया था। गुलाब जामुन को लेकर एक प्राचीन कहानी प्रचलित है। इस कहानी के मुताबिक शाहजहां के शेफ ने एक बार गलती से एक मिठाई तैयार की, जिसे उन्होंने बादशाह के सामने पेश किया।

ईरान की डिश भारत में बनी गुलाब जामुन

ऐसा कहा जाता है कि यह मिठाई फारसी स्वीट डिश 'लुकमत-अल-कादी' से प्रेरित थी, जिसे आज गुलाब जामुन के नाम से जाना जाता है। हालांकि, इस बात का कोई स्पष्ट सबूत मौजूद नहीं है। फूड इतिहासकार के मुताबिक पर्शिया (मौजूदा ईरान) में 13वीं सदी के आसपास गुलाब जामुन की शुरुआत हुई थी, जहां इसे 'लुकमत-अल-कादी' के नाम से जाना जाता है। ईरान की डिश को बनाने के लिए मैदे की गोलियों को घी फ्राई किया जाता था और फिर बाद में शहद या शक्कर की चाशनी में डुबोकर खाया जाता था। इसी व्यंजन से प्रेरित मिठाई को भारत में गुलाब जामुन कहा जाता है।

ऐसे भारत पहुंचा गुलाब जामुन

ईरान के बाद यह मिठाई टर्की में भी बनाई जाने लगी थी, जिसे बाद में टर्की के लोग ही भारत में लेकर आए थे और इस तरह ईरान की 'लुकमत-अल-कादी' से यह मिठाई गुलाब जामुन बन गई। इसे सबसे पहले तत्कालीन मुगल शासक शाहजहां के शासनकाल में बनाया गया और यह सम्राट मुगल सम्राट की पसंदीदा मिठाई बन गई थी। 17वीं शताब्दी से लेकर धीरे-धीरे यह मिठाई पूरे देश में लोकप्रिय हो गई और आज भी कई लोग इसे बेहद चाव से खाते हैं। भारत के अलावा गुलाब जामुन मॉरीशस, फिजी, दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका के कैरिबियन और मलय प्रायद्वीप में भी बनाई जाती है।

इसलिए कहलाया गुलाब जामुन

बात करें इस व्यंजन के नाम की तो, गुलाब जामुन 2 शब्दों गुल और आब से मिलकर बना है। यहां गुल का मतलब फूल और आब का मतलब पानी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस मिठाई को गुलाब जामुन का नाम क्यों दिया गया? दरअसल, जिस समय यह मिठाई भारत आई, उस समय कुछ लोग शक्कर की चाशनी को खुशबू देने के लिए उसमें गुलाब मिलाया करते थे। इसी से ‘गुल’ और ‘आब’ से मिलकर यह गुलाब हो गया। वहीं, जामुन जैसा आकार होने की वजह से यह व्यंजन ‘गुलाब जामुन’ कहलाने लगा।

Picture Courtesy: Freepik

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