Thandai History: सबसे पहले भगवान शिव को अर्पित की गई थी ठंडाई, जानें क्या है इसे होली पर पीने का महत्व
होली (Holi 2024) का त्योहार बस आने ही वाले हैं। हर कोई इस त्योहार की तैयारियों में लगा हुआ है। रंगों का यह त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान विभिन्न तरह के व्यंजनों को स्वाद भी चखने को मिलता है। ठंडाई इन्हीं में से एक है जो आमतौर पर भांग और सूखे मेवों से तैयार की जाती है। आइए जानते हैं क्या है इसका इतिहास।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर कोई इन दिनों होली (Holi 2024) के त्योहार की तैयारियों में व्यस्त हैं। फाल्गुन महीने के आते ही लोग बेसब्री से इस त्योहार का इंतजार करते हैं। रंगों का यह त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म के सबसे बड़े और अहम त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल पूरे देश बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहारों का मौका हो और खानपान का जिक्र न हो, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं। होली का त्योहार रंगों के अलावा अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है। ठंडाई (Thandai History) इन्हीं में से एक है, जिसके बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है।
ठंडाई एक पारंपरिक भारतीय पेय है, जिसका आनंद सदियों से लिया जा रहा है। खासकर शिवरात्रि और होली के दौरान इसे पीने का अपना अलग महत्व है। यही वजह है कि इस दौरान लोग अलग-अलग तरह की ठंडाई पीकर होली का जश्न मनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ठंडाई की शुरुआत कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है। अगर नहीं, तो आज जानते हैं ठंडाई के इतिहास के बारे में-यह भी पढ़ें- होली के त्योहार को देना चाहते हैं टेस्टी ट्विस्ट, तो इस बार ट्राई करें 3 तरह की ठंडाई
ठंडाई का इतिहास
ठंडाई का इतिहास प्राचीन भारत से मिलता है। ऐसा माना जाता था कि इसमें औषधीय गुण हैं और इसका उपयोग शरीर को ठंडा करने और इंद्रियों को शांत करने के लिए किया जाता था। "ठंडाई" हिंदी शब्द "ठंडा" से लिया गया है। यह पेय दूध, नट्स और मसालों के मिश्रण से बनाया गया है। बात करें इसके इतिहास की, तो ऐसा माना जाता है कि ठंडाई को सबसे पहले भगवान शिव को अर्पित की गई थी और यह महाशिवरात्रि के दौरान भी लोकप्रिय है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है।
वहीं, इसे लेकर प्रचलित एक और मान्यता के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि यानी शादी के बाद भगवान शिव के एक तपस्वी (वैराग्य) जीवन से पारिवारिक जीवन (गृहस्थ्य) में लौटने का जश्न मनाने के लिए होली पर भांग की ठंडाई पी जाती है। ठंडाई का पहला रिकॉर्ड 1000 ईसा पूर्व का है, जिसकी वजह से यह देश का सबसे पुराना ड्रिंक माना जाता है।
ठंडाई के फायदे
ठंडाई की परंपरा प्राचीन भारत से चली आ रही है। इसका सेवन शीतलता और औषधीय गुणों के लिए किया जाता था। इसे बनाने के लिए प्राकृतिक सामग्री जैसे सौंफ के बीज, खरबूजे के बीज, बादाम आदि का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर को ठंडा रखने में मदद करती है। इसे शरीर को ठंडा करने और इंद्रियों को तरोताजा करने के लिए पिया जाता है। यह गर्मियों में ताजगी देने वाले ड्रिंक के रूप में भी काफी लोकप्रिय है और पूरे भारत में सड़क के स्टॉल्स और रेस्तरां में आसानी से मिल जाता है। आप इस रेसिपी से ठंडाई बना सकते हैं-
सामग्री
- फुल क्रीम दूध: 1 1/2 लीटर
- भीगा और छिला हुआ बादाम: 25
- भीगे हुए काजू : 20
- पिस्ते उबालकर छीले हुए: 30
- खरबूजे के बीज भिगोये हुए: 3 बड़े चम्मच
- खसखस/पोस्तो भिगोया हुआ: 3 बड़े चम्मच
- केसर (केसर): कुछ रेशे
- चीनी: 1 1/2 कप
- हरी इलायची: 8-10
- गुलाब की पंखुड़ियां: 20-25
- दालचीनी: 1 इंच की छड़ी
- काली मिर्च : 8-10
बनाने का तरीका
- सबसे पहले बादाम, काजू, पिस्ता, खरबूजे के बीज और खसखस को थोड़े से दूध के साथ पीसकर बारीक पेस्ट बना लें।
- अब एक पैन में दूध उबालें और इसमें केसर डालकर मिला दीजिए।
- जब दूध उबलने लगे तो इसमें चीनी डालें और चीनी घुलने तक धीमी आंच पर पकाएं।
- फिर हरी इलायची, सूखी गुलाब की पंखुड़ियां, दालचीनी और काली मिर्च को एक साथ बारीक पीस लें।
- इस पेस्ट को दूध में डालें और अच्छी तरह मिलाएं। तीन से चार मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
- दूध में पिसा हुआ पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें। दूध को ठंडा करके परोसें।