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बेहद दिलचस्प है Indo-Chinese Cuisine की कहानी, Kolkata से शुरू हुआ था चाइनीज खाने में भारतीय मसालों के तड़के का सफर

क्या आप जानते हैं कि जिस मंचूरियन से लेकर चिली चिकन और चाऊमीन से लेकर तीखी चटपटी शेजवान सॉस को आप चटकारे लेकर शौक से खाते हैं उसका श्रेय भले ही चीन को जाता हो लेकिन इसकी शुरुआत कोलकाता से हुई थी। जी हां यह चाइनीज नहीं बल्कि इंडो-चाइनीज फूड है (Indo-Chinese Cuisine) और इनमें से कई डिशेज सिर्फ भारत में ही मिलती हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 28 May 2024 05:30 PM (IST)
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Indo-Chinese Cuisine: कैसे हुई थी इंडो-चाइनीज क्यूजीन की शुरुआत? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Indo-Chinese Cuisine: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को खुशियों का शहर यानी City of Joy के नाम से दुनियाभर में जाना जाता है। 1911 तक यह ब्रिटिश इंडिया की राजधानी थी। चौरंगी लेन, हावड़ा ब्रिज या फिर यहां की येलो टैक्सी, आज भी ब्रिटेन और आर्मीनिया जैसे देशों की याद दिला देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस संस्कृति की खुशबू कोलकाता की हवाओं में घुल गई है, वह चीन की देन है?

कैसे हुई इंडो-चाइनीज फूड की शुरुआत?

हम बात कर रहे हैं चाइनीज खाने में भारतीय मसालों (Indian Spices) के तड़के की, जिसके बाद भारतीय चीनी व्यंजन (Indo-Chinese Cuisine) का जन्म हुआ। इसी से हमें मिले, चिकन मंचूरियन, चिली चिकन, चाऊमीन और तीखी चटपटी शेजवान सॉस। आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें से कई डिशेज सिर्फ और सिर्फ भारत में ही मिलती हैं।

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बेहद दिलचस्प है इसका सफर

इंडो-चाइनीज फूड के जायके की तरह की इसका सफर भी काफी दिलचस्प रहा है। कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी के आखिर में भारत आए हाका चाइनीज ट्रेडर्स इसे यहां लाए थे, और देखते ही देखते यह क्यूजीन दोनों देशों की संस्कृति के बीच एक मजबूत कड़ी बन गई।

200 साल पुराने रेस्तरां हैं मौजूद

चाइनीज ब्रेकफास्ट से दिन की शुरुआत करने के लिहाज से कोलकाता के ओल्ड चाइना टाउन (Old China Town) में तिरेत्ती बाजार (Terreti Bazar) से बेहतर जगह कोई नहीं हो सकती है। इसके अलावा अगर आपको 200 साल पुराने रेस्तरां में बैठकर इंडो-चाइनीज खाने का मजा लेना है, तो इसके लिए टांगरा का चाइना टाउन एकदम परफेक्ट है। यहां के चाइनीज रेस्तरां आज भी चीन से आए लोगों की पीढ़ियां संभालती हैं।

क्यों हुआ चाइनीज फूड में इंडियन मसालों का इस्तेमाल?

यहां सालों से चल रहे इंडो-चाइनीज रेस्तरां की शुरुआत छोटे फूड ज्वाइंट्स से ही हुई थी। बताया जाता है कि उस वक्त रेस्तरां मालिकों का फोकस सिर्फ चाइनीज ग्राहकों पर ही था। हालांकि, बाद में भारतीय ग्राहक तो आए, लेकिन उनकी जुबान पर ट्रेडिशनल चाइनीज व्यंजनों का स्वाद चढ़ नहीं सका, क्योंकि इंडियन फूड के मुकाबले ये खाना थोड़ा फीका था, ऐसे में कई लोगों की पसंद नहीं बन सका।

इसके बाद इन आउटलेट्स ने चिकन को फ्राई करके उसमें अदरक, लहसुन, मिर्च इत्यादि तेज मसालों का इस्तेमाल शुरू किया और इसी से चिली चिकन का ईजाद हुआ। कुल मिलाकर, भारत न सिर्फ परंपराओं को अपनाता है, बल्कि जिस भी चीज से नाता जोड़ लेता है, उसे और भी खास बना देता है।

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