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International Coffee Day 2024: कहां से आई कॉफी और कैसे हुई इतनी मशहूर?

क्या आप जानते हैं कि कॉफी पीने की शुरुआत (coffee origin) अमेरिका से नहीं हुई थी? जी हां आपने भी सुना होगा कि अमेरिकी क्रांति के दौरान ब्रिटिश शासन के विरोध में अमेरिकियों ने चाय का बहिष्कार किया था और कॉफी को अपनाया था लेकिन हकीकत में यह अफवाह से ज्यादा और कुछ नहीं है। आइए इस आर्टिकल में आपको इसका दिलचस्प इतिहास (Coffee history) बताते हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 01 Oct 2024 03:49 PM (IST)
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कॉफी पर क्यों लगी थी चर्च की रोक और भारत में कैसे पहुंची? जानिए दिलचस्प इतिहास (Image Source: AI-generated, Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। International Coffee Day 2024: क्या आपको मालूम है कि कॉफी की उत्पत्ति अरब देशों में हुई थी, जहां इसे धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता था? जी हां, धीरे-धीरे यह यूरोप और फिर पूरी दुनिया में फैल गई। अमेरिकी क्रांति के दौरान चाय पर लगाए गए कर के कारण अमेरिका में कॉफी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी और देखते ही देखते आज कॉफी दुनिया की सबसे ज्यादा आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं में से एक बन गई है। आइए विश्व कॉफी दिवस 2024 के मौके पर आपको बताते हैं इसका दिलचस्प इसिहास (Coffee history)।

अमेरिका से नहीं आई कॉफी

कॉफी का सफर बहुत ही दिलचस्प है। शुरुआत में इसे एक पवित्र पेय माना जाता था और इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ में होता था। धीरे-धीरे यह दुनिया भर में मशहूर होती गई। आज तो हर कोई कॉफी पीता है, चाहे वो इटली हो, फ्रांस हो या अमेरिका, लेकिन क्या आपको पता है कि कॉफी पीने की शुरुआत अमेरिका से नहीं हुई थी? दरअसल, यह अफ्रीका के कुछ देशों से आई थी। पहले-पहल अरब देशों में कॉफी पीने का चलन शुरू हुआ था। आज कॉफी बनाने के ढेर सारे तरीके हैं और बड़े-बड़े कॉफी हाउस भी दिन-ब-दिन इसके स्वाद के साथ एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं।

कैसे हुई कॉफी की खोज?

कॉफी की कहानी एक चरवाहे से शुरू होती है जो इथियोपिया के पहाड़ों में अपने झुंड को चरा रहा था। एक दिन उसे कुछ जादुई लगा। उसने पाया कि जब उसकी बकरियां एक खास पेड़ के फल खाती हैं, तो वे बेहद ऊर्जावान हो जाती हैं। वह भी उन फलों को खाने लगा और उसे भी ऐसा ही अहसास हुआ। यह वह पेड़ था जिससे दुनिया की सबसे लोकप्रिय पेय, कॉफी, निकली। धीरे-धीरे कॉफी यमन पहुंची और फिर पूरे यूरोप में फैल गई। 16वीं और 17वीं सदी में यूरोप में कॉफी, चाय और चॉकलेट बेहद लोकप्रिय हो गए थे। यमन के लोगों ने कॉफी को 'कहवा' नाम दिया, जिससे आज के शब्द 'कॉफी' और 'कैफे' निकले हैं।

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कॉफी ने झेला धार्मिक विरोध

कॉफी ने धीरे-धीरे अरब देशों में अपनी जगह बनाई। 15वीं सदी में यह मक्का और मिस्र पहुंची। शुरुआत में इसे एक पवित्र पेय माना जाता था और सूफी संत ही इसे पीते थे। लेकिन धीरे-धीरे कॉफी की लोकप्रियता बढ़ती गई और लोग कॉफी हाउस में इकट्ठा होने लगे। ये कॉफी हाउस ज्ञान और विचारों का केंद्र बन गए।

लेकिन हर नई चीज की तरह, कॉफी को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कुछ धार्मिक नेताओं ने कॉफी हाउस को मयखानों से भी बदतर बताया और इन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की। लेकिन लोग कॉफी पीना नहीं छोड़ना चाहते थे। आखिर में, धार्मिक विद्वानों को कॉफी पीने की अनुमति देनी पड़ी।

कॉफी हाउस और यूरोपीय संस्कृति

कॉफी ने यूरोप तक अपना सफर समुद्र और थल दोनों मार्गों से तय किया। ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे व्यापारिक संगठनों ने यमन के मोचा बंदरगाह से कॉफी का आयात किया और यूरोप में फैलाया। यूरोप में कॉफी हाउस लोगों के लिए चर्चा और विचार-विमर्श का केंद्र बन गए। लेकिन शुरुआत में, यूरोपवासी कॉफी को शक की नजर से देखते थे।

हालांकि, जब पोप क्लीमेंट आठवें ने कॉफी का स्वाद चखा, तो उन्होंने इसे पसंद किया। वियना की लड़ाई के बाद ऑस्ट्रिया में कॉफी की लोकप्रियता और बढ़ गई। आज भी वियना में कॉफी के साथ एक गिलास पानी परोसा जाता है, जो तुर्की की परंपरा का एक हिस्सा है।

टर्किश कॉफी का मिथक

असल में, "टर्किश कॉफी" शब्द थोड़ा भ्रामक है। तुर्की कॉफी पीने के लिए तो मशहूर है, लेकिन इसका उत्पादन नहीं करता। कॉफी का उत्पादन मुख्य रूप से लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में होता है। ग्रीस में इसी कॉफी को "ग्रीक कॉफी" कहा जाता है, लेकिन अरब जगत में तो इसे लेकर एक अलग ही राय है। मिस्र, लेबनॉन, सीरिया, फलस्तीनी क्षेत्र और जॉर्डन जैसे देशों में कॉफी पीने की अपनी-अपनी परंपराएं हैं। खाड़ी क्षेत्र में कॉफी को अक्सर कड़वा और मसालों के साथ पिया जाता है। मेहमानों को कॉफी देना एक सम्मान का प्रतीक होता है, लेकिन इसे बहुत जल्दी देना अनादर माना जाता है।

यमन, जो कॉफी का जन्मस्थान है, आजकल बहुत कम कॉफी का उत्पादन करता है। 2011 में, यमन से केवल 2500 टन कॉफी का निर्यात हुआ था। सस्ते आयात और अन्य फसलों पर ध्यान देने की वजह से यमन का कॉफी उत्पादन काफी कम हो गया है। आज कोई भी अरब देश दुनिया के प्रमुख कॉफी उत्पादकों में शामिल नहीं है।

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