International Coffee Day 2024: कहां से आई कॉफी और कैसे हुई इतनी मशहूर?
क्या आप जानते हैं कि कॉफी पीने की शुरुआत (coffee origin) अमेरिका से नहीं हुई थी? जी हां आपने भी सुना होगा कि अमेरिकी क्रांति के दौरान ब्रिटिश शासन के विरोध में अमेरिकियों ने चाय का बहिष्कार किया था और कॉफी को अपनाया था लेकिन हकीकत में यह अफवाह से ज्यादा और कुछ नहीं है। आइए इस आर्टिकल में आपको इसका दिलचस्प इतिहास (Coffee history) बताते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। International Coffee Day 2024: क्या आपको मालूम है कि कॉफी की उत्पत्ति अरब देशों में हुई थी, जहां इसे धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता था? जी हां, धीरे-धीरे यह यूरोप और फिर पूरी दुनिया में फैल गई। अमेरिकी क्रांति के दौरान चाय पर लगाए गए कर के कारण अमेरिका में कॉफी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी और देखते ही देखते आज कॉफी दुनिया की सबसे ज्यादा आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं में से एक बन गई है। आइए विश्व कॉफी दिवस 2024 के मौके पर आपको बताते हैं इसका दिलचस्प इसिहास (Coffee history)।
अमेरिका से नहीं आई कॉफी
कॉफी का सफर बहुत ही दिलचस्प है। शुरुआत में इसे एक पवित्र पेय माना जाता था और इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ में होता था। धीरे-धीरे यह दुनिया भर में मशहूर होती गई। आज तो हर कोई कॉफी पीता है, चाहे वो इटली हो, फ्रांस हो या अमेरिका, लेकिन क्या आपको पता है कि कॉफी पीने की शुरुआत अमेरिका से नहीं हुई थी? दरअसल, यह अफ्रीका के कुछ देशों से आई थी। पहले-पहल अरब देशों में कॉफी पीने का चलन शुरू हुआ था। आज कॉफी बनाने के ढेर सारे तरीके हैं और बड़े-बड़े कॉफी हाउस भी दिन-ब-दिन इसके स्वाद के साथ एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं।कैसे हुई कॉफी की खोज?
कॉफी की कहानी एक चरवाहे से शुरू होती है जो इथियोपिया के पहाड़ों में अपने झुंड को चरा रहा था। एक दिन उसे कुछ जादुई लगा। उसने पाया कि जब उसकी बकरियां एक खास पेड़ के फल खाती हैं, तो वे बेहद ऊर्जावान हो जाती हैं। वह भी उन फलों को खाने लगा और उसे भी ऐसा ही अहसास हुआ। यह वह पेड़ था जिससे दुनिया की सबसे लोकप्रिय पेय, कॉफी, निकली। धीरे-धीरे कॉफी यमन पहुंची और फिर पूरे यूरोप में फैल गई। 16वीं और 17वीं सदी में यूरोप में कॉफी, चाय और चॉकलेट बेहद लोकप्रिय हो गए थे। यमन के लोगों ने कॉफी को 'कहवा' नाम दिया, जिससे आज के शब्द 'कॉफी' और 'कैफे' निकले हैं।
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कॉफी ने झेला धार्मिक विरोध
कॉफी ने धीरे-धीरे अरब देशों में अपनी जगह बनाई। 15वीं सदी में यह मक्का और मिस्र पहुंची। शुरुआत में इसे एक पवित्र पेय माना जाता था और सूफी संत ही इसे पीते थे। लेकिन धीरे-धीरे कॉफी की लोकप्रियता बढ़ती गई और लोग कॉफी हाउस में इकट्ठा होने लगे। ये कॉफी हाउस ज्ञान और विचारों का केंद्र बन गए।
लेकिन हर नई चीज की तरह, कॉफी को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कुछ धार्मिक नेताओं ने कॉफी हाउस को मयखानों से भी बदतर बताया और इन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की। लेकिन लोग कॉफी पीना नहीं छोड़ना चाहते थे। आखिर में, धार्मिक विद्वानों को कॉफी पीने की अनुमति देनी पड़ी।