पूर्व PM अटल जी की जुबान पर हमेशा रहा कलाकंद का स्वाद, गलती से दूध फटने पर हो गया था इस मिठाई का ईजाद
भारत में त्योहारों (Festive Season) का अपना ही रंग होता है और इन रंगों को और गहरा बनाने में मिठाइयों का बहुत बड़ा योगदान होता है। इनमें से एक खास मिठाई है कलाकंद जिसे बहुत से लोग मिल्ककेक भी कहते हैं। आज हम आपको इस मिठाई का दिलचस्प इतिहास (Kalakand History) बताने जा रहे हैं जो हमेशा से पूर्व पीएम अटल जी (Atal Bihari Vajpayee) की भी फेवरेट रही है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कहते हैं व्रत हो या फिर त्योहार, मीठा तो बनता है! इस मीठे में सबसे ऊपर आता है कलाकंद या फिर आज के बच्चों का पसंदीदा मिल्ककेक। दीवाली (Diwali 2024) जैसे बड़े त्योहार पर तो मानो कलाकंद का बोलबाला ही रहता है! बिना कलाकंद के भोग लगाए, मां लक्ष्मी की पूजा अधूरी-सी लगती है। बहुत से घरों में तो दिवाली से पहले ही घर में कलाकंद (kalakand Sweet) बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है, ताकि दीवाली की रात पूरे परिवार के साथ बैठकर इसका आनंद लिया जा सके। ऐसे में, क्या आप जानते हैं कि बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी की पसंदीदा और लोकप्रिय यह मिठाई आखिर आई कहां से? अगर नहीं, तो चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कलाकंद के दिलचस्प इतिहास (Kalakand History) के बारे में, जिसका स्वाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Former PM Atal Ji) को भी बेहद पसंद था।
आजादी से जुड़ा है कलाकंद का इतिहास
कलाकंद की कहानी बेहद दिलचस्प है और यह एक संयोग से शुरू हुई थी। बताया जाता है कि आजादी से पहले पाकिस्तान के रहने वाले बाबा ठाकुर दास एक कुशल हलवाई थे। एक दिन, जब वे दूध उबाल रहे थे, अचानक दूध फट गया। दूध बर्बाद होने से दुखी होकर उन्होंने सोचा कि इसे किसी तरह बचाया जाए।गलती से बन गई स्वादिष्ट मिठाई
दास जी ने फटे हुए दूध को धीमी आंच पर पकाना शुरू किया और हैरान रह गए जब उन्होंने देखा कि दूध में दाने पड़ने लगे हैं और इसकी बनावट काफी अनोखी हो गई है। उन्होंने इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाई और इसे और पकाया। घंटों की मेहनत के बाद एक नई मिठाई तैयार हुई जिसका स्वाद बेहद लाजवाब था।यह भी पढ़ें- पढ़ें सोन पापड़ी की कहानी, कैसे पहुंची भारत और बन गई दीवाली की मनपसंद मिठाई!