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भारत नहीं बल्कि इस देश में पहली बार पाया गया था करेला, जानें आखिर क्यों होता है इतना कड़वा?

Karela History करेला एक ऐसी सब्जी है जिसका नाम भी कोई सुन ले तो मुंह बना लेता है। इसकी वजह है इसका तेज कड़वा स्वाद। करेले का कड़वापन भले ही आप नापसंद करते हों लेकिन यह आपकी हेल्थ को कई तरह से फायदा पहुंचा सकता है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि यह सब्जी पहली बार कहां पाई गई होगी और इसका स्वाद इतना कड़वा क्यों होता है?

By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Thu, 21 Sep 2023 07:11 PM (IST)
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पहली बार इस देश में पाया गया था करेला, फिर ऐसे पहुंचा भारत, पढ़ें इसका मजेदार इतिहास

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Karele ka Itihaas: करेले को अंग्रेजी में बिटर गॉर्ड (Bitter Gourd) कहा जाता है। यह बेल में लगने वाली हरी सब्जी है, जिसे लंबे समय से कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए डाइट में शामिल किया जा रहा है। केरेला एक ऐसी सब्जी है जिसे देश भर में हर कोई जानता है, लेकिन पसंद करने वाले कम ही हैं। वजह है इसका कड़वा स्वाद। करेला अलग-अलग रंगों और आकार में आते हैं। भारतीय करेले 4 इंच लंबे होते हैं, तो वहीं चीन में इनकी लंबाई 8 इंच लंबी होती है। इसका साइज मौसम में बदलाव के साथ बदल सकता है। इसे एशियाई खाने में खूब शामिल किया जाता है।

करेला अपने तेज और कड़वे स्वाद की वजह से कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह बाहर से हरा और अंदर से सफेद रंग का होता है। करेले को पकाते वक्त इसका छिलका निकाल दिया जाता है, क्योंकि यही सबसे ज्यादा कड़वा होता है।

कहां से आया है करेला?

आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस करेले को देख आप बचपन से नाक सिकोड़ रहे हैं, वो दरअसल भारत नहीं बल्कि सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था। अफ्रीका के सूखे मौसम में कुंग शिकारियों के लिए करेला मुख्य भोजन था, इसे सबसे पहले वहीं देखा भी गया। समय के साथ करेला पूरे एशिया में फैलता गया। वक्त के साथ लोगों को इसके अद्भुत फायदों के बारे में भी पता चला।

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कभी सोचा है करेला कड़वा क्यों होता है?

करेले में नॉन-टॉक्सिक ग्लाइकोसाइड मोमोर्डिसिन होता है, जो इसको कड़वाहट देता है और साथ ही फायदे देने का काम भी करता है। करेले के कड़वेपन को पेट के स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा माना जाता है।

करेला दो तरह से पेट के लिए फायदेमंद साबित होता है:

  • करेला पेट के पाचन रस को रिलीज करने के काम को सक्रिय करता है और साथ ही ज्यादा खा लेने से होने वाली पेट की खराबी से राहत दिलाता है।
  • तनाव के कारण क्षतिग्रस्त हुए गैस्ट्रिक म्यूकोसा की मरम्मत करता है और उसकी रक्षा भी करता है।
  • गैस्ट्रिक एसिड को रिलीज करता है जिससे पाचन में मदद मिलती है।
  • दूसरी तरफ अगर जरूरत से ज्यादा करेले खा लिए जाएं, तो कई लोगों को इससे पेट में दर्द, दस्त और पेट व पाचन से जुड़ी दूसरी समस्याएं हो सकती हैं।

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करेला और इसमें मौजूद पोषक तत्व

एक कप करेले में प्रोटीन, कार्ब्स, फैट्स, फाइबर, विटामिन-ए, बी1, बी2, सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, जिंक और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व आए जाते हैं।

पोटैशियम

करेले में मौजूद पोटैशियम शरीर में जमा अतिरिक्त पानी और नमक को बाहर निकालते हैं। अगर आपके शरीर में सूजन है, तो बेहतर है कि आप ज्यादा नमक युक्त खाने से दूरी बनाएं।

डाइटरी फाइबर

अघुलनशील डाइटरी फाइबर मल को आंतों में जमने नहीं देते और शरीर से आसानी से बाहर निकालते हैं। इसके अलावा डाइटरी फाइबर कॉलोन में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भोजन देते हैं, जिससे इनकी संख्या बढ़ती है और आपकी आंत की सेहत बनी रहती है।

विटामिन-सी

करेले में विटामिन-सी होता है, जो जुकाम में आराम पहुंचाने का काम कर सकता है। विटामिन-सी सफेद रक्त कोशिकाओं को एक्टिवेट करता है और बैक्टीरिया से लड़ता है। हालांकि, विटामिन-सी गर्मी के प्रति संवेदनशील होता है, इसलिए करेले को सलाद या जूस के तौर पर पीना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

फॉलिक एसिड

करेले में मौजूद फॉलिक एसिड लाल रक्त कोशिका के उत्पादन को समर्थन देने में अहम भूमिका निभाता है। जिससे आप एनीमिया से बचते हैं।

विटामिन-बी

चीनी और वसा को एनर्जी में तबदील करने के लिए विटामिन-बी1 और बी2 आवश्यक होते हैं। यह कमजोरी को दूर करने और मोटापे से बचाने का भी काम करता है।

कैल्शियम

इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों और दांतों की सेहत के लिए जरूरी होता है।

Picture Courtesy: Freepik