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बेहद दिलचस्प थी मुगलों के खानपान की आदतें, कोई हिमालय से मंगाता था बर्फ तो किसी ने बना ली थी गोश्त से दूरी

मुगल बादशाहों के खाने-पीने की आदतों (Eating Habits Of Mughal Emperor) और आलीशान रहन-सहन ने भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला। मुगलों की पसंद-नापसंद के किस्से शायद आपने भी खूब सुने हों लेकिन उनके खानपान (Mughal Cuisine) से जुड़ी बहुत-सी ऐसी बातें हैं जिन्हें कई लोग नहीं जानते हैं। ऐसे में आज हम आपको ऐसे ही कुछ दिलचस्प तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 03 Sep 2024 05:24 PM (IST)
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बेहद दिलचस्प थी मुगलों के खानपान की आदतें (Image Source: X)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मुगल खानपान (Mughal Foods) भारत की समृद्ध पाक परंपरा का एक अहम हिस्सा रहा है। मुगल बादशाहों के शौक और विलासितापूर्ण जीवन शैली उनके खानपान में भी झलकती थी। ऐतिहासिक नजर से देखें, तो यह दौर भारत में मुगल आक्रमण के साथ शुरू होता है। मुगल वंश का संस्थापक बाबर मध्य एशिया से भारत अकेला नहीं आया था बल्कि वह अपने साथ अपनी पाकशैली को भी लाया था। ऐसे में, भारत की स्थानीय सामग्री और मसालों के साथ मिलकर यह पाकशैली और भी ज्यादा विकसित हो गई।

मुगल बादशाहों ने न सिर्फ भारत पर शासन किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवनशैली पर भी गहरा प्रभाव डाला। मुगल दरबारों में भोजन की रस्में और खानपान की आदतें (Food Habits Of Mughal Emperors) जानेंगे तो आप भी हैरान रह जाएंगे। खानपान को लेकर मुगलों की पसंद-नापसंद भी दिलचस्पी थी। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन अच्छा शिकारी होने के बावजूद बादशाह अकबर को गोश्त खाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। आइए जानते हैं मुगल दरबारों में भोजन से जुड़ी कुछ ऐसी ही रस्मों और खान-पान की आदतों के बारे में।

अकबर ने लगाई थी गोमांस पर पाबंदी

द एंपायर ऑफ द ग्रेट मुगल्स: हिस्ट्री, आर्ट एंड कल्चर में उल्लेख मिलता है कि अकबर के शासन के दौरान, उन्होंने गोमांस या ऐसी किसी भी अन्य वस्तु को खाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो हिंदू और जैन संस्कृति के मुताबिक ठीक नहीं मानी जाती थी। इस पाबंदी का पालन उनके बेटे जहांगीर और पोते शाहजहां ने भी किया।

ऐसी थी अकबर की शाही रसोई

कोलीन टेलर सेन की "ए हिस्ट्री ऑफ फूड इन इंडिया" (2014) में उल्लेख मिलता है कि अकबर की शाही रसोई में "...एक प्रमुख रसोइया, एक कोषाध्यक्ष, एक स्टोरकीपर, क्लर्क, स्वाद चखने वाले और पूरे भारत और पर्शिया से 400 से ज्यादा रसोइए मौजूद थे। भोजन को सोने, चांदी, पत्थर और मिट्टी के बर्तनों में बनाया जाता था। पेय पदार्थों को ठंडा करने और फ्रोजन डेजर्ट बनाने के लिए बर्फ को हिमालय से एक जटिल प्रणाली के माध्यम से लाया जाता था।" बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए नवाब सॉल्‍टपीटर का इस्तेमाल करते थे।

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गोश्त से दूरी

मुगल बादशाहों को गोश्त बहुत पसंद था। बिरयानी, कबाब, करी जैसे कई व्यंजन गोश्त से बनाए जाते थे। हालांकि, यह कहना गलत होगा कि मुगल केवल गोश्त ही खाते थे। इतिहासकारों के मुताबिक, सल्तनत के शुरुआती दौर में मुगल सम्राट शुक्रवार को गोश्त खाने से बचते थे। समय के साथ इसमें एक दिन और जोड़ दिया गया। शुक्रवार के साथ रविवार को भी वो गोश्त से परहेज करने लगे।

शाकाहारी व्यंजनों से लगाव

मुगल काल में गोश्त से इतनी दूरी बनाने की बात चौंकाती है। यही वजह रही कि उनके रसोइए अक्सर गेहूं से बने कबाब और चने की दाल के जरिए तैयार पुलाव भोजन में पेश करते थे। यह उनके पसंदीदा भोजन में से एक था। इतिहासकारों का कहना है कि पनीर से बने कोफ्ते और खाने में फलों का इस्तेमाल करना औरंगजेब की ही देन है।

फल-फ्रूट्स का शौक

शाही खानपान के दौर में भी ताजे फल खासतौर पर आम औरंगजेब की कमजोरी थे। मुगल बादशाह अपनी सेहत का खास ख्याल रखते थे और वे ताजे फल और सब्जियों को अपने आहार का जरूरी हिस्सा मानते थे।

खाने के तरीके

मुगल दरबार में खाने का तरीका बेहद शाही और लंबा-चौड़ा होता था। खाने के बर्तन सोने और चांदी से बनाए जाते थे। खाने को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया जाता था और भोजन के समय संगीत सुनने का भी रिवाज था।

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मसालों का प्रयोग

मुगल रसोई में ढेरों प्रकार के मसालों का इस्तेमाल किया जाता था। इलायची, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च जैसे मसाले खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।

विदेशी व्यंजनों का प्रभाव

मुगल बादशाहों ने विदेशी यात्रियों और दूतों के माध्यम से विभिन्न देशों के व्यंजनों के बारे में जाना और उन्हें अपने खानपान में शामिल किया। उदाहरण के लिए, मुगल रसोई में ईरानी, अफगानी और तुर्की व्यंजनों का प्रभाव भी देखने को मिलता है।

खाने की आदतों में बदलाव

समय के साथ मुगल बादशाहों की खाने की आदतों में भी बदलाव आया। उदाहरण के लिए, औरंगजेब ने साधारण जीवन जीने का फैसला किया और उन्होंने शाही विलासिता को त्याग दिया। इसने उनके खान-पान को भी प्रभावित किया।

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