पैसे नहीं मजदूरों को मिलते थे लहसुन, अफेयर छिपाने के लिए भी होता था इस्तेमाल, Garlic Day पर जानें मजेदार बातें
लहसुन लगभर हर भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाली सब्जी है जो खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत को ढेरों फायदे भी पहुंचाती है। लोग इसे सब्जी या चटनी के रूप में डाइट का हिस्सा बनाते हैं। इसके इतिहास और गुणों को उजागर करने के मकसद से हर साल 19 अप्रैल को National Garlic Day मनाया जाता है। इस मौके पर जानते हैं लहसुन से जुड़ी मजेदार बातें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने कभी लहसुन (Garlic) का स्वाद न चखा हो। लगभग हर भारतीय घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। सब्जी हो या चटनी लहसुन हर किसी का स्वाद दोगुना कर देता है। खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही यह सेहत को भी ढेर सारा फायदा पहुंचाता है। यही वजह है कि लहसुन के इतिहास, इसके औषधीय और खाद्य गुणों के उजागर करने के लिए हर साल 19 अप्रैल को नेशनल गार्लिक डे (National Garlic Day 2024) मनाया जाता है।
इस दिन का मकसद से इसके इतिहास को जानने के अलावा, इससे होने लाभों के लिए लहसुन को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने को बढ़ावा देना है। ऐसे में आज इस मौके पर हम आपको बताएंगे लहसुन के दिलचस्प इतिहास और इसके भारत आने की पूरी कहानी-यह भी पढ़ें- बोरिंग सोया चंक्स से मिनटों में तैयार करें कटलेट्स, टेस्ट और हेल्थ दोनों में है बेस्ट
लहसुन का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि मूल रूप से लहसुन मध्य एशिया, दक्षिण एशिया या दक्षिण-पश्चिमी साइबेरिया में पाया जाता है। हालांकि, इसकी उत्पत्ति पर अभी भी कुछ बहस चल रही है। यह दुनिया की सबसे पुरानी खेती वाली फसलों में से एक है। लहसुन प्रेमी इस तीखी जड़ी-बूटी को मिस्र, पाकिस्तान, भारत और चीन तक ले गए। क्रूसेडर्स लहसुन को वापस यूरोप ले आये। बाद में स्पैनिश, फ्रेच और पुर्तगाली निवासियों ने लहसुन को अमेरिका में लाया। लहसुन नाम अंग्रेजी नाम गार्लिक, एक पुराना एंग्लो-सैक्सन शब्द garleac से पड़ा।
कई साल पुराना है लहसुन
बीते 5,000 से ज्यादा वर्षों से लहसुन का इस्तेमाल भोजन, औषधि, धन और जादुई औषधि के रूप में किया जाता रहा है। पुराने समय में माना जाता था कि लहसुन बुरी नजर से बचाता था। मध्ययुगीन निवासियों बुराई से बचने के लिए इसे दरवाजों पर लटकाते थे। ग्रीक एथलीट्स और योद्धाओं को यह ताकत और साहस देता था। बुरी बलाओं से युवतियों और गर्भवती महिलाओं की रक्षा करता था। इतना ही नहीं बैल के तेज सींगों, स्थानीय चुड़ैलों, काले प्लेग आदि से बचने के लिए लहसुन को गले में लटकाया जाता था।वेतन के रूप में बांटा जाता था लहसुन
यह तीखी जड़ी-बूटी सबसे पुराने खेती वाले पौधों में से एक है। मिस्र के लोग इसे देवता के रूप में पूजते थे और स्थानीय मुद्रा के रूप में भी इस्तेमाल करते थे। इतना ही नहीं उस दौर में लहसुन का इस्तेमाल सैलरी के रूप में किया जाता है। यही नहीं मिस्र में जो ममी बनाई जाती थीं, उनके साथ उसमें लहसुन भी संरक्षित किया जाता था। पिरामिड बनाने वाले मजदूरों और दासों को वेतन के तौर पर लहसुन दिया या खिलाया जाता है। पिरामिड पर काम करने वालों के बीच यह इतना लोकप्रिय था कि लहसुन की कमी के कारण काम तक रुक जाता था। नील नदी की बाढ़ के कारण बर्बाद हुई लहसुन की फसल मिस्र के दो दास विद्रोहों में से एक का कारण बनी।