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Shardiya Navratri 2024: नवरात्र में देवी के 9 रूपों के लगाएं इन चीजों का भोग, मिलेगी मां की असीम कृपा

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) का त्योहार 3 अक्टूबर से शुरू हो गया है। इसमें शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि देवी के हर रूप को उनका प्रिय भोग (Navratri 2024 Bhog) लगाने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवी का आशीर्वाद मिलता है। यहां जानिए नवरात्र के नौ दिनों के लिए नौ प्रकार के भोग।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Thu, 03 Oct 2024 09:13 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: नवरात्र को नौ दिन लगाएं ये भोग (Picture Courtesy: Jagran)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Navratri Bhog 2024: नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) का त्योहार शक्ति के नौ रूपों को समर्पित है। आश्विन माह में मनाई जाने वाली इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में देवी ने अलग-अलग रूप धारण करके असुरों का संहार किया था और संसार की रक्षा की थी। इसलिए इस दिन मां के नौ रूपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है।

घर के मंदिर में माता की मूर्ति की स्थापना की जाती है, कलश बिठाते हैं, जौ उगाते हैं और सच्ची श्रद्धा से उनकी पूजा अर्चना करते हैं। इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों को अलग-अलग प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनसे देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इसलिए नवरात्र के नौ दिनों में आपको किस दिन कौन-सा भोग (Shardiya Navratri 2024 Bhog List ) लगाना चाहिए, इसकी लिस्ट हम आपको बताने वाले हैं। इसे नोट करके रख लें, ताकि देवी को हर दिन उनके पसंदीदा भोग लगा सकें।

नवरात्रि में मां को नौ दिनों तक लगाएं नौ तरह के भोग

पहला दिन- मां शैलपुत्री

नवरात्र का पहला दिन मां के शैलपुत्री रूप को समर्पित है। पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण मां के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है। इस रूप में मां के एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ में मां ने कमल धारण किया है। ये बैल की सवारी करती हैं। मां के इस रूप को भोग में गाय के दूध से बने शुद्ध घी से बनी मिठाइयों का भोग अति प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि देवी को ये भोग लगाने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है।

दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी

नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। देवी का ये रूप सफेद कपड़े पहने, एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे में कमंडल धारण किए है। देवी के इस स्वरूप को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि देवी को ये भोग लगाने से आयु लंबी होती है।

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तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा

नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। देवी के इस स्वरूप के दस हाथ हैं, जिनमें उन्होंने अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र धारण किए हैं और मां शेर पर सवारी करती हैं। देवी के शीश पर आधा चंद्र है, जिसके कारण इस रूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी के इस स्वरूप को खीर या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं और धन व ऐश्वर्य मिलता है।

चौथा दिन- मां कुष्मांडा

नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। देवी कुष्मांडा को संसार की जननी माना जाता है, यानी जिसने इस संसार का सृजन किया है। देवी के इस स्वरूप को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। इससे बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

पांचवा दिन- मां स्कंद माता

नवरात्र का पांचवा दिन मां स्कंद माता को समर्पित है। स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय की माता होने की वजह से देवी के स्वरूप को स्कंद माता कहा जाता है। इस रूप में देवी की गोद में कार्तिकेय बालरूप में विराजमान हैं। देवी के इस रूप को केले का भोग अति प्रिय है।

छठा दिन- मां कात्यायनी

नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। देवी के चार हाथ हैं और वो शेर की सवारी करती हैं। देवी का ये रूप बेहद सुंदर और मनोरम है। मां के इस स्वरूप को शहद और मीठे पान का भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ये भोग लगाने से सुंदरता में वृद्धि होती है।

सातवां दिन- मां कालरात्रि

नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। देवी ने इसी स्वरूप में राक्षस शुंभ और निशुंभ का वध किया था। देवी के इस स्वरूप को गुड़ या गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में सबकुछ शुभ होता है।

आठवां दिन- मां महागौरी

नवरात्र का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित है। मां के इस स्वरूप का रंग बेहद सफेद है, इसलिए गौर वर्ण का होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। देवी के इस स्वरूप को नारियल या नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

नौवां दिन- मां सिद्धिदात्री

नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इन्हें सभी प्रकार की सिद्धि देने वाली देवी कहा जाता है। देवी के इस स्वरूप को खीर, पूरी और हलवा का भोग लगाना चाहिए।

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