Biryani vs Pulao: क्या आपके लिए भी एक है पुलाव और बिरयानी, तो शेफ से जानें इनका अंतर और दिलचस्प इतिहास
Biryani vs Pulao शायद ही कोई ऐसा हो जिसने बिरयानी या पुलाव का स्वाद न चखा हो। बिरयानी भारत में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजन में से एक है जिसे कई लोग बड़े चाव से खाते हैं। वहीं यहां पुलाव के शौकीन भी कम नहीं है। हालांकि कई लोगों को दोनों व्यंजनों में अंतर नहीं पता जिसकी वजह से वह इसे एक ही समझ लेते हैं।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Thu, 19 Oct 2023 09:16 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Biryani vs Pulao: शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे खाना पसंद नहीं। दुनियाभर में खाने-पीने की कई ऐसी चीजें मिलती हैं, जिन्हें खाकर मन तृप्त हो जाता है। खानपान की बात हो और अपने देश भारत का जिक्र न किया जाए, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं। अपनी परंपराओं और संस्कृति के लिए मशहूर भारत अपने खानपान और लजीज स्वाद के लिए भी दुनियाभर में जाना जाता है। यहां की विविधता का असर सिर्फ पहनावे और बोली में ही नहीं, बल्कि यहां के खाने में भी नजर आता है।
हमारे यहां हर एक राज्य और शहर का अपना अलग व्यंजन और स्वाद होता है, जिसे चखने दूर-दूर से लोग हमारे देश आते हैं। यहां मिलने वाले व्यंजनों का सिर्फ स्वाद ही लाजवाब नहीं होता, बल्कि इनका इतिहास और बेहद दिलचस्प होता है। ऐसे में आज हम आपको भारत में मिलने वाले ऐसे ही दो व्यंजनों का इतिहास बनाने जा रहे हैं, जो न सिर्फ स्वाद में लजीज है, बल्कि इनका इतिहास भी बेहद दिलचस्प है।
हम सभी ने कभी न कभी बिरयानी और पुलाव का स्वाद चखा होगा। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे इनका स्वाद पसंद नहीं। इन दिनों बाजार में अलग-अलग स्वाद वाली कई तरह की वेज और नॉन-वेज बिरयानी मिलती है। वहीं, पुलाव भी लोग अक्सर बाजार से या घर पर बना खाते रहते हैं। हालांकि, कई लोग अक्सर इन दोनों व्यंजनों के बीच अंतर करने में कंन्फ्यूज हो जाते हैं। ऐसे में बिरयानी और पुलाव के बीच का अंतर जानने के लिए हमने शेफ सदफ हुसैन से बातचीत की और दोनों के अंतर के साथ ही इनका दिलचस्प इतिहास भी जाना।
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कैसे हुई बिरयानी की शुरुआत
बिरयानी के इतिहास की बात करें तो एक कहानी कहती है कि तुर्क-मंगोल शासक तैमूर सन 1398 में अपने साथ पहली बिरयानी भारत लाए थे, जब उन्होंने देश पर कब्जा कर लिया था। ऐसा माना जाता है कि तैमूर के सैनिकों ने चावल, मसालों और जो भी मांस उपलब्ध था, उसे एक गर्म गड्ढे में डबा दिया और फिर योद्धाओं सर्व करने के लिए खोदकर निकाला और इस तरह बिरयानी का इजाद हुआ।एक और लोकप्रिय कहानी यह भी है कि एक बेगम मुमताज, महल में मुगल सेना की बैरक में गईं और उन्होंने देखा कि लोग कमजोर और भूखे दिख रहे थे। ऐसे में उन्होंने रसोइये से सैनिकों को संतुलित भोजन देने के लिए मांस और चावल के साथ एक विशेष व्यंजन बनाने के लिए कहा और बेशक, इसका नतीजा बिरयानी था।बिरयानी नाम फारसी शब्द "बिरिंज बिरियान" से आया है, जिसका अर्थ है "तला हुआ, या भुना हुआ।" बिरयानी का नाम तले हुए प्याज के उपयोग और मांस को भूनने के कारण पड़ा है।