शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाकर दबी हुई नसें खोल देते हैं ये 3 योगासन, नहीं रहती सुन्नपन या सूजन की तकलीफ!
कुछ देर एक ही जगह बैठे-बैठे अगर आपको भी हाथों-पैरों में सुन्नपन की परेशानी होने लगती है तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। बता दें कि यह शरीर में खून की कमी के साथ-साथ ब्लड सर्कुलेशन के ठीक न होने की ओर भी इशारा करता है ऐसे में राहत के लिए आप हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले फूड्स के साथ-साथ ये 3 योगासन (Yoga For Blocked Veins) भी अपना सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Yoga Asanas To Clear Clogged Veins: खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान के कारण आज नसों के दर्द से कई लोग परेशान रहते हैं। नजरअंदाज करने पर वक्त के साथ यह दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाता है और हाथों-पैरों में चुभन महसूस होने लगती है। ऐसे में, आप कुछ योगासन की मदद से नसों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ा सकते हैं और सूजन जैसे तकलीफों से भी बच सकते हैं। आइए बिना देर किए जान लीजिए ऐसे 3 योगासन, जो नस दबने की समस्या से काफी हद तक राहत दिला सकते हैं।
भुजंगासन (Bhujangasana)
मांसपेशियों को मजबूत करने के लिहाज से भुजंगासन काफी फायदेमंद होता है। दो शब्दों से मिलकर बने इसके नाम की ओर गौर करें, तो पाएंगे कि भुजंग यानी सांप और आसन मतलब मुद्रा। यही वजह है कि इस योगासन को करने के लिए आपको कोबरा की पोजीशन लेनी पड़ती है। इसे करने के लिए पेट के बल लेटना होता है और फिर दोनों हाथों को जमीन पर टिकाकर हथेलियों को कंधों के बराबर लाना होता है। इसके बाद छाती वाले हिस्से को ऊपर उठाकर सांप के फन की मुद्रा लेनी होती है। इस दौरान आप बीच-बीच में ब्रेक भी ले सकते हैं। बता दें, कि नसों को खोलने के लिए यह योगासन काफी मददगार है।
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अधोमुख श्वान आसन (Downward Dog Pose)
दबी नसों को खोलने के लिए अधोमुख श्वान आसन भी काफी कारगर है। यह शरीर में ब्लड फ्लो को बढ़ाने के साथ-साथ मांसपेशियों को मजबूत भी बनाता है। अधोमुख का मतलब है मुंह को नीचे की ओर रखना और श्वान शब्द का मतलब है कुत्ता। इस योगासन को डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज भी कहते हैं। इसका अभ्यास करने के लिए आपको सबसे पहले दोनों हाथों को ऊपर ले जाना है और फिर जमीन पर नीचे की ओर झुकना है। ध्यान रहे, कि इस दौरान आपके घुटने एकदम सीधे रहें और शरीर का आकार धनुष की तरह हो। ऐसे में, गहरी सांसे लेते हुए कूल्हों पर जोर डालें और हाथों को जमीन पर टिकाएं। ऐसा करते हुए आंखें पैरों की ओर होनी चाहिए और सिर जमीन की तरफ।